नुक्कड़ नाटक ‘काक्सा का ठेला’ के माध्यम से दिखाया आईना
Udaipur. झीलें भर तो गई हैं लेकिन जाने-अनजाने हम झीलों और उसके आसपास के शुद्ध वातावरण को दूषित न करें और लबालब झीलों की खुशी को शुद्धता से बरकरार रखें। इसी उद्देश्यर को लेकर नाट्यांश की ओर से रविवार शाम फतहसागर की पाल पर ‘काकसा का ठेला’ नुक्करड़ नाटक का मंचन किया गया।
नाटक के संयोजक नाट्यांश के अमित श्रीमाली ने बताया कि ‘काक्सा का ठेला’ एक काल्पनिक चाय की थडी़ और वहां अक्सर आने वाले चार दोस्तों की कहानी हैं जो अपनी हर खुशी का इज़हार करने झीलों के किनारों पर आते हैं और वहां होने वाली विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा भी लेते हैं। चारों युवक पढ़े लिखे होने के बावज़ूद झीलों के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी नहीं करते लेकिन बातों ही बातों में उदयपुर की झीलों को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का संदेश जरूर देते हैं।
नाटक के माध्यम से नाट्यांश के कलाकारों ने झीलों के प्रति लोगों की बुरी आदतों को सही करने और निकट भविष्य में झीलों को साफ और स्वच्छ रखने की अपील की गयी।
इस नुक्कड़ के संयोजक अमित श्रीमाली ने बताया कि नाट्यांश द्वारा निर्देशित नाटक का लेखन अश्फ़ाक नूर ख़ान पठान ने किया। नाटक के कलाकारों में शुभम शर्मा, मोहक आहुजा, श्लोोक पिम्पलकर, महेन्द्र ड़ांगी ने खूब हंसाया। साथ ही नेहा पुरोहित, मोहम्मद रिज़वान, अब्दुल मुबिन खान पठान, विशाल राज वैष्णव, जतिन नाहर, रेखा सिसोदिया, भाविक सोनी, रोनक कंठालिया एवं करण कोठारी ने अपने अभिनय की छाप छोडी़।