रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा पर वार्ता
Udaipur. गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति डॅा. एम. एल. शर्मा ने कहा कि जीवन को स्वस्थ रखने के लिए पूर्व में जाने-अनजाने में अपनाये जाने वाले कार्य-कलापों को भूल गये हैं। बुढ़ापा शीघ्र न आए, चेहरे पर झुर्रियां न पड़ें इसके लिए नियिमत रूप से खोपरे के साथ गुड़ का सेवन करें। जीवन को दीर्घावधि तक निरोगी रखने में आयुर्वेद का बहुत बड़ा महत्व रहा है और आज भी कायम है।
वे कल रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में स्वास्थ्य सुरक्षा विषयक आयाजित वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें कहा कि जीवन भर मुलेठी का पाउडर चाय के स्थान पर लेने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है। आजीवन त्रिफला का प्रयोग करने से न केवल बाल गिरने से रुकते वरन् बाल काले भी रहते हैं। पीतल के बर्तन पर कली कराकर उसमें दूध गर्म कर पीना चाहिए। स्वर्ण धातु को तपाकर उसे दूध में भिगोकर उस दूध को नवजात को पिलाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि नवजात के बीमार, सर्दी, जुकाम होने पर उसे एन्टिबायटिक्स दवाओं से हर हालत में बचाया जाना चाहिए क्योंकि वे उसके जीवन पर दुष्प्रभाव डालती है। दूध में बादाम के तेल की तीन-चार बूंद डालकर पीया जाए तो शरीर में चिकनाहट रहती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सर्दी, जुकाम, बुखार ठीक हो जाता है। यदि शरीर को दीर्घावधि तक निरोगी रखना है तो आयुर्वेद को अपनाकर उसके नियमों का पालन करना चाहिए। दूध मिलाकर आमरस पीने से वह मीठे जहर का काम करता है। वह शरीर का मेटाबोलिक सिस्टम खराब करता है।
क्लब अध्यक्ष बी. एल. मेहता ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाने से शरीर में साईड इफेक्ट नहीं होते है। हमें आयुर्वेद का सहारा लेकर शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास करना चाहिए। सचिव सुरेन्द्र जैन ने बताया कि 27 अक्टूबर को धार ग्राम में पशु चिकित्सा शिविर, 31 अक्टूबर को दीपावली स्नेह मिलन तथा 10 से 17 नवम्बर तक मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॅा. डी. सी. शर्मा के नेतृत्व में डायबिटीज जागरूकता अभियान कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रारम्भ में श्रीमती राजेन्द्र चौहान ने ईश वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में महादेव दमानी, डॅा. आनन्द स्वरूप ने भी विचार रखें तथा डॅा. बी. एल. सिरोया ने डॅा. शर्मा को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।