लाडनूं में मुख्यम समारोह, उदयपुर में सभी चारित्रात्मा ओं का सामूहिक संबोधन
Udaipur. श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज के नवम अधिशास्ता अणुव्रत प्रवर्तक युग प्रधान आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के तहत विभिन्ना कार्यक्रम देश भर में 5 नवम्बर से शुरू होंगे। इसके तहत शासन श्री मुनि रविन्द्र कुमार एवं मुनि पृथ्वीराज के सानिध्य में उदयपुर में विराजित सभी चारित्रात्मा ओं को एक मंच पर नैतिक संस्काुरों पर उदबोधन होगा जो महामानव आचार्य तुलसी को समर्पित होगा।
तेरापंथी सभा उदयपुर के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जन्म शताब्दी वर्ष मुख्य रूप से चार चरणों में आयोजित होगा प्रथम चरण 5 नवम्बर 2013 लाडनूं में , द्वितीय चरण 5 फरवरी 2014 गंगाशहर में , तृतीय चरण 7 सितम्बर 2014 नई दिल्ली में तथा चतुर्थ चरण 25 अक्टूबर 2014 को समापन चरण के रूप में नई दिल्ली में होगा।
उदयपुर में भी पूरे वर्ष कार्यक्रम होंगे। सभा मंत्री अर्जुन खोखावत ने बताया कि मुख्यत: प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को सुबह 10 से 12 बजे तक निशुल्क आचार्य तुलसी चिकित्सा शिविर, भिन्न-भिन्न विषयों पर प्रतिमाह विचार गोष्ठी, तुलसी आर्ट गैलरी, सुखाडि़या विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में आचार्य तुलसी से सम्बन्धित साहित्य दीर्घा, महाप्रज्ञ विहार भुवाणा में आचार्य तुलसी स्वागत द्वार आदि मुख्य कार्य होंगे। केन्द्रीय स्तर पर शासकीय योजनाओं के अन्तर्गत आचार्य तुलसी के नाम से ट्रेन, जन्म शताब्दी पर डाक टिकट, संसद तथा विधानसभा में अणुव्रत संगोष्ठी, आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी पर सिक्का, राष्ट्रपति भवन में आचार्य तुलसी के चित्र का अनावरण आदि का लक्ष्य निर्धारित किया है।
मीडिया प्रभारी दीपक सिंघवी ने बताया कि लाडनूं , कलकत्ता, मुम्बई एवं बेंगलोर से चार अणुव्रत चक्र प्रवर्तन रथ पूरे भारत में परिभ्रमण करेगा। आचार्य तुलसी पर एनीमेशन फिल्म बनाकर प्रदर्शित की जाएगी। टीवी पर आचार्य श्री तुलसी के प्रवचन होंगे। डॉक्यूमेंट्री, सीडी, वृत्त चित्र द्वारा प्रचार- प्रसार किया जाएगा। आचार्य तुलसी द्वारा रचित गीतों का पाश्र्व गायकों द्वारा संगान किया जाएगा। आचार्य तुलसी पर आचार्य महाश्रमण एवं साध्वी प्रमुखाश्रीजी द्वारा रचित गीतों का भी पार्श्व्गायकों द्वारा संगान किया जाएगा। वेबसाईट का निर्माण भी किया जाएगा।
तेरापंथी सभा के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिक संघीय कार्यक्रम के तहत 100 मुनि दीक्षाओं का लक्ष्य, अणुव्रत के 11 संकल्पों के अधिकाधिक संकल्प पत्र भरवाने का लक्ष्य, 5 फरवरी को गंगाशहर में विराट अभिनव सामायिक, 22 दिसम्बर को बीदासर में भव्य दीक्षा समारोह, आचार्य श्री तुलसी जीवन वृत्त पर प्रश्नावली व परीक्षा का आयोजन होगा।
फत्तावत के अनुसार उदयपुर में जन्मशताब्दी वर्ष में आचार्य तुलसी महिला सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, आचार्य तुलसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र, मासिक आध्यात्मिक प्रशिक्षण कार्यशाला, आचार्य तुलसी संगीत प्रशिक्षण केन्द्र, आचार्य तुलसी वरिष्ठ नागरिक संस्थान आदि प्रारम्भ किये जाएंगे।
शुद्ध मिठाई के लिए अनूठा प्रयोग : तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता ने बताया कि समाजजनों को दीपावली पर शुद्ध मिठाई उपलब्ध हो,इस हेतु लाभ हानि रहित बेसन चक्की, लड्डू और काजू कतली का निर्माण कराकर समाजजनों को उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें परिषद के पूर्व अध्यक्ष विनोद माण्डोत एवं प्रदीप सोनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। प्रेस वार्ता में मुनि रविन्द्र कुमार एवं मुनि पृथ्वीराज ने मंगल पाथेय एवं आशीर्वचन प्रदान किया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष छगनलाल बोहरा, सुबोध दुग्गड़, ओमप्रकाश खोखावत, लोकेश कोठारी, सुभाष सोनी, प्रणिता तलेसरा, मिश्रीलाल लोढ़ा, महेन्द्र सिंघवी, धीरेन्द्र मेहता, अभिषेक पोखरना, विनोद मांडोत, प्रदीप सोनी, मंजू चौधरी, दीपिका मारू भी उपस्थित थे।
आचार्य तुलसी को संक्षिप्त जीवन परिचय : आचार्य तुलसी का जन्म विक्रम सम्वत् 1971 कार्तिक शुक्ला द्वितीया लाडनूं राजस्थान में झुमरमलजी खटेड़ के घर आगंन में मातुश्री वंदना जी की कुक्षी में हुआ। विक्रम सम्वत 1982 पोष कृष्णा पंचमी मुनि दीक्षा तथा विक्रम सम्वत 1993 भाद्र शुक्ला छठ को मात्र बाईस वर्ष की उम्र में 139 साधु और 333 साध्वीयों के धर्म संघ का नेतृत्व ग्रहण किया। क्रांतिकारी विचारों के पर्याय आचार्य तुलसी ने साध्वी समाज में शिक्षा प्रचार-प्रसार, नैतिक क्रांति और मानसिक शांति के लिए अणुव्रत आंदोलन एवं प्रेक्षाध्यान, नारी जागरण, संस्कार निर्माण, रूढ़ी उन्मूलन, समण श्रेणी की स्थापना आदि कई अवदान आप द्वारा प्रस्फुटित है। साठ हजार किलोमीटर की पद यात्रा कर गरीब के झोंपड़े से राष्ट्रपति भवन तक नैतिकता की लौ प्रज्वलित कर इस महामानव ने अपने ही जीवन काल में पद विसर्जन कर अपने शिष्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद पर आरूढ़ किया। विक्रम संवत 2054, 23 जून को गंगाशहर में अंतिम सांस ली।