धड़ल्ले से हो रहा उपयोग
फतहनगर. सरकार ने पर्यावरण को नुकसान से बचाने एवं गायों के जीवन को सुरक्षित करने को लेकर पॉलीथिन के उपयोग पर पाबन्दी लगा रखी है लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। दुकान तो दुकान ठेले वालों के यहां भी पॉलीथिन मिल जाएगी। लोग पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं लेकिन उनका ध्यान गायों पर नहीं है।
पॉलीथिन के दुष्प्रभाव से सर्वाधिक गायें प्रभावित हो रही है। गायें बाजारों में विचरण करते हुए सडक़ पर पड़ी पॉलीथिन को चबाने का प्रयास करती है। पॉलीथिन तो चबती नहीं लेकिन गाय इसे जुगाली में चबा लेने का मानकर निगल जाती है। इसके बाद यह पॉलीथिन उसके पेट में ही जमा होती रहती है तथा एक समय ऐसा भी आता है कि वह कुछ भी निगलने की स्थिति में नहीं होती। इसके बाद उसकी मौत सुनिश्चित हो जाती है। इसका असर भी पिछले दिनों यहां की श्रीकृष्ण महावीर गौ शाला में भी देखने को मिला। अधिसंख्या गायों के मौत के बाद जब उनका पोस्टमार्टम किया गया तो पेट से पॉलीथिन ही निकला। प्रशासन ने तीन-चार मर्तबा धरपकड़ का अभियान भी चलाया था लेकिन स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती गई।
चरागाह की व्यवस्था होनी चाहिए
पॉलीथिन के कहर से गौ माता को बचाने के लिए चरागाहों की व्यवस्था होनी चाहिए तथा गायों को गौ शालाओं में बंद करने के बजाय स्वच्छन्द घूमने दिया जावे। गाय दिनभर चरागाहों में घूमने के बाद स्वत: ही गौ शाला में आ जाएगी। ऐसे में गायों का आसानी से पालन भी हो सकेगा तथा पॉलीथिन से भी गायों को बचाया जा सकेगा।
प्रहलाद सोनी, फतहनगर
प्रॉडक्ट पर प्रतिबंध हो
जहां तक पॉलीथिन के इस्तेमाल एवं बेचने का सवाल है,दुकानदार इसमें कम दोषी है। दोषी तो वह कम्पनी है जो कि वर्जित पॉलीथिन का प्रॉडकशन कर रही है। कम्पनी पर पहले प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
डॉ. जेनेन्द्र कुमार जैन, फतहनगर