धर्मनारायण के सहयोगी विजय प्रकाश विप्लवी का वसुंधरा को पत्र, मांगीलाल जोशी ने की बगावत
Udaipur. भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा को 48 घंटे भी नहीं बीते कि एक के बाद एक बगावत के स्वर उभर गए हैं। किसी जमाने में कटारिया के विश्वस्त ‘कमल दल’ के सहयोगी मांगीलाल जोशी और धर्मनारायण जोशी ने भी बगावत के सुर खोल दिए हैं।
जिले की सामान्य मावली सीट से मुख्यक दावेदार धर्मनारायण जोशी एवं मांगीलाल जोशी थे। भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में विधानसभाध्यक्ष रह चुके शांतिलाल चपलोत भी इनके साथ प्रमुख दावेदारों में से एक थे लेकिन कथित तौर पर कटारिया ने सभी का टिकट कटवाकर अपने विश्वस्त मंडी के पूर्व चेयरमैन दलीचंद डांगी को टिकट दिलवाया। हालांकि मांगीलाल जोशी ने एक भेंट में दूरभाष पर इसे ब्रह्म हत्या बताते हुए कटारिया के खिलाफ उदयपुर शहर विधानसभा से लड़ने की चेतावनी भी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे संभाग में इसका असर रहेगा।
उधर धर्मनारायण जोशी के विश्वेस्त। सहयोगी पूर्व मंडल अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद विजय प्रकाश विप्लरवी ने प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे को भेजे एक पत्र में स्वीकार किया कि मेवाड़-वागड़ में वसुंधरा के निर्णयों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कटारिया की इच्छाय के बिना मेवाड़ भाजपा में कोई नहीं रह सकता।
उनका हूबहू पत्र यहां प्रसारित किया जा रहा है :
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विजय प्रकाश विप्लवी
पूर्व मण्डल अध्यक्ष व पूर्व पार्षद भा.ज.पा.
दिनांक 07.11.2013
श्रद्धेया वसुन्धराराजे जी ,
सादर प्रणाम ।
प्रदेष भाजपा में आपके नेतृत्व संभालने के बाद लम्बी प्रतीक्षा कर के बहुत जिम्मेदारीपूर्वक कुछ बातों पर आपका ध्यानाकर्षण कर रहा हूँ।
मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में आपके निर्णयों को देखकर मुझे लगा कि गुलाबचन्द जी कटारिया की इच्छा के बिना मेवाड़ के संगठन भाजपा में कोई नहीं रह सकता।
जो व्यक्ति 1977 से आज तक निरन्तर कुर्सी पर और लाल बती की गाडियों में रहा हैं। जिसके जीवन में टिकट की जोड़ ही सर्वोपरि वे गुलाबजी हमें त्याग का भाषण देते है।
मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता के लिये पार्षद पद पर नियम बना : जो दो बार पार्षद रह गया, अगला टिकट नहीं मिलेगा। वार्ड नहीं बदलेगा। आखिर आप कोई नियम तो गुलाबजी के लिये भी बनाओ। 70 वर्षीय बुजुर्ग नेता गुलाबजी जो मूलतः देलवाडा (नाथद्वारा) से है। ये उदयपुर व बडीसादडी से विधायक क्यों बनते है?
राजनीति में संघ का आदर्श बताने वाले यह क्यों भूल जाते है नानाजी देशमुख ने 65 वर्ष की उम्र के बाद स्वयं को सक्रीय राजनीति से दूर कर लिया।
गुलाबजी की गुटबाजी व जातिवादी राजनीति में इन्होनें सदैव अपनी जाति के लोगों व रिश्तेुदारों को आगे बढाया है। मुझे यह समझ में नहीं आता ब्राह्मण व राजपूत समाज को नाराज करके हम मेवाड़ संभाग में कोई सफलता की आशा लिये बैठे है?
गुलाबजी ने मेवाड को एकछत्र नेता बने रहने के लिये मावली में धर्मनारायण जी जोशी, वल्लभनगर में रणधीर सिंह जी भीण्डर, राजसमन्द में किरण जी माहेश्व री व भीम में हरिसिंह रावत के खिलाफ लोगों व अपने निकट रिश्तेरदारों को लगा रखा है।
जनजाति वर्ग के प्रमुख नेता नन्दलाल जी मीणा, अर्जुनलाल जी मीणा, गौतमलाल जी मीणा, धनसिंह जी रावत, चुन्नीलाल जी गरासिया, महावीर जी भगोरा जैसे नेताओं का विरोध करके गुलाब जी जनजाति वर्ग में क्या संदेश देना चाहते है? विचारणीय विषय है। मुझे लगता है ये प्रदेश में भाजपा की सरकार चाहते ही नहीं है।
दिनांक 1 व 2 दिसम्बर (धनतेरस) व रूपचौदस के दिन गुलाब जी ने दिनभर उदयपुर के पार्टी कार्यालय में बैठकर विभिन्न विधानसभाओं मावली, वल्लभनगर, सलूम्बर व उदयपुर ग्रामीण के कार्यकर्ताओं को बुलाकर उकसाया। अपनी-अपनी पसन्द के उम्मीदवार के पक्ष में साइन करवा करके लाओं। राणकपुर में डाले गये वोटों पर भरोसा मत रखों। समर्थन के पत्र 4 तारीख सुबह तक लाकर दो मैं दिल्ली में कोषिष करूंगा।
आखिर उनकी कोशिश रंग लाई। चुनाव समिति को झांसा देने में गुलाब जी सफल रहे। मेरा निवेदन है कि गुलाबजी की पसन्द-नापसन्द से पार्टी का बहुत नुकसान हो चुका है। ब्राह्मण व राजपूत समाज में रोष है। जिन लोगों ने संगठन के मार्ग पर चलकर गुलाब जी के व्यक्तिवाद को स्वीकार नहीं किया, उनके साथ आपने न्याय नहीं किया, तो बहूत अनर्थ होगा, जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
आपको जीत का भरोसा दिलाने वाले आपके साथ विश्वा सघात कर रहे है। हो सकता है आप आज मेरी बात से सहमत न हो कभी आप समय देंगे तो व्यक्तिश: मिलकर निवेदन करूंगा।
मुझे आश्चसर्य है मावली में ऐसे प्रत्याषी का टिकट दिया गया जो सर्वे और राणकपुर के वोटों में कहीं स्टेण्ड नहीं कर रहा है। मुझे लगता है कि इस टिकट के कई राजनैतिक व आर्थिक गठजोड़ जुडे हुए है।
आपने 2008 में श्री धर्मनारायण जी जोशी को प्रत्याशी बनाकर मावली भेजा। मात्र 17 दिन के प्रचार अभियान में जो व्यक्ति नये व अपरिचित क्षेत्र में मात्र चार हजार वोट से पीछे रहा। उसके बाद निरन्तर मावली को ही अपना कार्यक्षेत्र बनाकर गाँव-गाँव ढाणी-ढाणी जाकर जनता व कार्यकर्ताओं के सुख-दुःख में सहभागी रहा।
मावली के इतिहास में किसी जीते हुए प्रत्याशी ने क्षेत्र के जितने दौरे नहीं किये उतने जोशी जी ने चुनाव हारने के बाद किये है। ऐसी स्थिति में जब जोशीजी की जीत सुनिश्चित थी। उनका टिकट काटे जाने से मावली की जनता हतप्रभ है, ऐसा हूआ क्यों…………………….?
मुझे पता है गुलाबजी कटारिया स्वयं धर्मनारायण जी जोशीजी को किसी पद पर आने नहीं देना चाहते। केवल एक व्यक्ति की जिद्द व हठ धर्मिता से पूरी मावली की जनता व कार्यकर्ताओं की आषाओं व अपेक्षाओं पर पानी फेरना कहां तक न्यायोचित है? विचारणीय विषय है।
इस सारी परिस्थिति में निवेदन है कि धर्मनारायण जी जोशी के अलावा कोई मावली से नहीं जीत सकता है। अतः आप निर्णय पर पुनर्विचार कर जनता व कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करें। अन्यथा यह सीट जीतना संभव नहीं होगा।
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