शक्तिसिंह ने दर्ज कराया मधुलिका डी. सिंह पर
Udaipur. तितरड़ी निवासी महाराज शक्तिसिंह ने अपनी बहिन मधुलिका डी. सिंह पत्नी दिलीपसिंह पर अपने पिता के खाते से हेराफेरी कर ढ़ाई करोड़ रूपये निकालने का अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट उदयपुर शहर (उत्तर) में धारा 420,467,468,471 तथा धारा 153 (3) जा. फौ.के तहत इस्तगासा पेश किया। इस पर न्यायालय ने हिरणमगरी थाने को जांच के आदेश दिये हैं।
इस्तगासे में शक्तिसिंह के अनुसार 14 जनवरी 2013 को महाराज नरेन्द्र सिंह के स्वर्गवास के पश्चात उनकी पुत्री मधुलिका डी. सिंह ने रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैण्ड शाखा उदयपुर में खाता सं. 1468188 में हेराफेरी कर परिवादी को सूचित किये बिना ढ़ाई करोड़ रुपए निकाल ली। शक्तिसिंह ने बहिन पर आरोप लगाया कि पिता के स्वर्गवास के पश्चात मधुलिका डी. सिंह की नीयत में खोट आ गई और मुझे व मेरी एक अन्य बहिन नीलिमा कुंवर को जानकारी दिये बिना बैंक में जमा राशि निकालने का आवेदन कर दिया।
रकम निकालने हेतु आवेदन किये जाने की जानकारी मिलने पर उन्होनें अपने अधिवक्ता स्व. भगवतसिंह देवपुरा के माध्यम से बैंक को गत 2 फरवरी को इस आशय का नोटिस दिया कि खाते में काफी बड़ी रकम जमा है जिस पर कानूनन तीनों भाई बहिन बराबर के हकदार है, इसलिए उक्त राशि का भुगतान सक्षम न्यायालय के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के बिना नहीं किया जाए।
राशि निकाले जाने की जानकारी मिलने के बाद परिवादी ने अपने स्तर पर छानबीन की तो पता चला कि बैंक में स्व. नरेन्द्रसिंह का खाता महाराज ‘महाराज नरेन्द्रसिंह मेवाड़’ के नाम से था जबकि ग्राम पंचायत तितरड़ी के जन्म-मृत्यु रजिस्टर में हमारे पिताजी का नाम ‘महाराज नरेन्द्रसिंह’ अंकित था और इसी नाम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया था। जब मधुलिकासिंह को पता लगा कि पिताजी का खाता ‘महाराज नरेन्द्रसिंह मेवाड़’ के नाम का है तो उन्होनें पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र में छेड़छाड़ करते हुए फर्जी दस्तोवज तैयार किया और उस फर्जी दस्तावेज को बैंक में असली बताकर ढा़ई करोड़ की रकम निकालकर अमेरिका चली गई।
मधुलिका सिंह द्वारा पंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण दस्तावेज में छेड़छाड़ कर अपनी इच्छानुसार मेवाड़ शब्द जोडक़र रकम उठा लेने की जानकारी मिलने पर सूचना के अधिकार के तहत परिवादी ने ग्राम पंचायत तितरड़ी से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की डुप्लीकेट प्रति, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन पत्र एवं मृत्यु रजिस्टर की प्रतियां प्राप्त की तो उन सभी दस्तावेजों में पिताजी का नाम महाराज नरेन्द्र सिंह अंकित होकर मेवाड़ नाम कहीं नहीं होना पाया गया।