Udaipur. जिसे कभी पैसे से मोह नहीं रहा, शायद इसलिए अभावों से जूझता रहा और शो करने के लिए कोलकाता तक जाना पड़ा तो भी गया लेकिन इस बार का यह सफर न सिर्फ उनका बल्कि उनकी दोनों लाड़ली बेटियों के लिए भी अंतिम सफर बन गया।
जादूगरों की दुनिया में टनाटन के नाम से प्रसिद्ध गंगाशंकर लखारा एक नामचीन कद रहा। बाहर से जादूगर शंकर, जादूगर मंगल (सीनियर) आदि को उदयपुर में लाकर शो दिखाने में भी टनाटन का खासा किरदार रहा। जादू और असलियत की दुनिया में बहुत फर्क होता है। रंगारंग, चमक-धमक की दुनिया के बाद जब वे अपनी दुनिया में आते तो यकायक कोई पहचान भी नहीं पाता।
दीपावली के दो दिन बाद 6 नवम्बर को जब अपनी बेटी संध्या के साथ मिलने आए थे तो बताया था कि 11 नवम्बजर को रवाना होना है और वापसी 18 या 19 नवम्बर को होगी लेकिन यह आभास कतई नहीं था कि वापसी एम्बुलेंस के रूप में होगी। मन में सिर्फ एक ही बात रहती थी कि अपना परिवार पालने के अलावा कभी जादू के लिए कुछ कर सकूं। परिवार में सबसे बड़ी बेटी संध्या को संभवत: इसलिए तैयार किया और मेवाड़ मैजिक एकेडमी का शुभारंभ भी किया जिसका पहला कार्यक्रम गत दिनों सवीना स्थित एक वाटिका में हुआ था। इससे छोटी बेटी निशा भी शो दिखाने साथ ही गई थी। जादूगर टनाटन, उनकी दोनों बेटियां संध्या एवं निशा तीनों की मृत्यु हो गई। उनके साथ पत्नी रमीला टनाटन एवं दोहित्री दक्षु घायल हो गए। उनके साले व सलहज की भी मौत हो गई। अब घर में शेष रह गए हैं उनकी पत्नी रमीला, दो बेटियां उषा, पूजा तथा बेटा हर्षवर्धन जो पेसिफिक से एमबीए कर रहा है।
सुबह दाह संस्कार के दौरान एक ही चिता पर पिता व दोनों पुत्रियों को देखकर वहां हर कोई भाव विह्वल हो गया। दूसरी चिता पर साला व सलहज का अंतिम संस्कार किया गया। दर्दनाक वाकये के कारण उनके निवास स्थान बेदला के आसपास के घरों में चूल्हे तक नहीं जले। मिलनसार स्वभाव के कारण हर कोई उनका प्रशंसक था।