विद्यापीठ में लेखांकन वित प्रबंधन के वर्तमान मुदृदों पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार शुरू
Udaipur. देश या विश्वन में संभावित वित्तीय संकट को भांपने या उसके निवारण के लिए वित्तीय स्थितियों का सटीक अनुमान जरूरी है। इससे फायदा यह होगा कि हमें आने वाले संकट की स्थिति पता चलेगी साथ ही उससे निबटने के लिए कई विकल्प भी हमारे सामने होंगे।
यह कहना है बडौ़दा एमएस यूनिवर्सिटी के प्रो जीसी माहेश्व री का। वे शुक्रवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के श्रमजीवी महाविद्यालय के लेखांकन विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन में उपस्थित थे। लेखांकन वित्तक प्रबंधन के वर्तमान मुदृदों पर आधारित सेमिनार में माहेश्वरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बाजारीकरण का स्थानीय स्तर पर भी काफी फर्क पडा है। गत पांच सालों में वित्तीय संकट को लेकर काफी शोध हुए हैं। इससे काफी हद तक संकट के संभावित कारणों का भी उल्लेख मिला है।
आयोजन सचिव डॉ अनिता शुक्ला ने बताया कि मुख्य अतिथि एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति प्रो ओ. पी. गिल ने कहा कि वर्तमान के निजीकरण के इस युग में सेवाओं में कमी नहीं है। खास बात यह है कि यहां आईटी सेक्टर में तेजी आई है। लेखांकन और रिसर्च से जुडी हर रोज नई तकनीक आ रही है। जो जरूरी भी है। अति विषिट अतिथि डेविड सी कार्टन ने कहा कि पष्चिम का आर्थिक संकट लंबे समय से जारी है। वहां के देषों में समय समय पर यह अलग रूपों में प्रकट हेता है। यह मंदी के रूप में कई बार आर्थिक संकट ले चुका है। अर्थव्यवस्था एक विकल्प प्रस्तुत करती है। अध्यक्षता करते समय कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि लेखांकन का वर्तमान में कोई विकल्प नहीं है। यह ऐसी पद्दति है जो वर्तमान में सभी रोजगार से जुडी़ है। इस कारण इसका वैश्विक महत्व भी बढ़ जाता है। लेखांकन के सामने चुनौतियों की कमी नहीं है, लेकिन वर्तमान में हुए रिसर्च वर्क के आधार पर इसे काफी संतुलित बना लिया गया है। रही बात अन्य चुनौतियों की तो वे किसी न किसी रूप में हमारे सामने आई है। जिनका समय रहते हमने निबटारा भी कर लिया है। उदघाटन में आस्टेलिया केनबरा विवि के प्रो मुर्रे वुडृस, डॉ सीपी अग्रवाल ने भी विचार व्यहक्त किए।
दो तकनीकी स़़त्रों में 65 प़त्रवाचन : कांफ्रेंस चेयरमैन डॉ. सी. पी. अग्रवाल ने बताया कि कांफ्रेंस के पहले दिन दो तकनीकी सत्रों में हुए 65 पत्रवाचन में वित्तीय संकट के संदर्भ में वित्तीय प्रबन्धन, लेखांकर का उपचार आदि, लेखांकन एवं वित्तीय प्रबन्धन में नैतिक मूल्यों की प्रासंगिकता, निगमों का पुनर्गठन, एकीकरण एवं विलयन, निगम वित्तीय प्रतिवेदन अंकेक्षण, समुचित प्रशासन हेतु लेखांकन, भावी प्रबन्धन, व्यवसाय में नव प्रवृत्ति तथा संगठनात्मक परिवर्तन पर मंथन हुआ। संचालन डॉ. हिना खान व अनिता राठौड़ ने किया। धन्यवाद डॉ. प्रीति अग्रवाल ने दिया। इस अवसर पर लेखांकन से जुडे़ प्रो. एनडी माथुर, डॉ अनिल मेहता, डॉ एमजी वार्णेय, प्रो केए गोयल, डॉ तपन भादविया, प्रो एन. के. पंड्या, प्रो एनएस राव, डॉ लक्ष्मीनारायण नंदवाना, डॉ हेमशंकर दाधीच सहित कई उपस्थित थे।