विद्या भवन पॉलीटेक्निक में “पोलीमर विज्ञान व रबर तकनीकी में भविष्य” विषयक सेमिनार
Udaipur. भारत के विज्ञान एवं तकनीकी विद्यार्थियों को जापान से गुणवत्ताि नियन्त्रण (क्वालिटी) जर्मनी से डिजाईन, कोरिया से नियत अवधि में क्रियान्वयन (टाईमली एक्जीक्यूशन) तथा चीन से न्यूनतम दाम में उत्पादन (कोस्ट कन्ट्रोल) सीखना चाहिए। इन गुणों व विशेषताओं तथा अपने दृढ़ निश्चय, मेहनत व ईमानदारी से भारतीय युवा सम्पूर्ण विश्व के सिरमौर बन देश को विकसित राष्ट्र बना सकते है।
ये विचार इण्डियन रबर इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष एवं हेसेट्री, जे. के. टायर के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डा. आर. मुखोपाध्याय ने विद्या भवन पॉलीटेक्निक में आयोजित “पोलीमर विज्ञान व रबर तकनीकी में भविष्य” विषयक सेमिनार में व्यक्त किए। मुखोपाध्याय ने बताया कि बाड़मेर में रिफाईनरी आने, गुजरात में ऑटोमोबाईल हब बनने एवं लगभग समस्त उत्पादों में पॉलीमर व रबर के बढ़ते उपयोग से रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध है। इण्डियन रबर इन्स्टीट्यूट, उद्योगों की आवश्यकताओं व मांग को पूरा करने एवं दक्ष पॉलीमर, रबर टेक्नोलोजिस्ट तैयार करने के लिये डी. आई. आर. आई. तथा पी. जी. डी. आर. आई. पाठ्यक्रम संचालित करता है। इंजीनियरिंग डिग्री, डिप्लोमा धारी एव बीएससी (पीसीएम), एमएससी (रसायन) पॉलीमर साइंस के विद्यार्थी इन पाठ्यक्रमों को पूरा कर पीजीडीआरआई, डीआरआई परीक्षाएं उततीर्ण कर सकते है। इन परीक्षाओं का नियन्त्रक रबर टेक्नोलोजी सेन्टर आईआईटी खड़गपुर है।
सेमीनार में इण्डियन रबर इन्स्टीट्यूट, राजस्थान चेप्टर के सचिव डा. समर बनर्जी ने कहा कि आईआरआई की ओर से विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में माह के हर दूसरे व चौथे रविवार को विशेषज्ञ कक्षाएं होगी। कार्यक्रम में टेक्नो एनजेआर के प्राचार्य पंकज पोरवाल ने कहा कि उद्योग जगत दक्ष कार्मिकों की कमी की समस्या से जूझ रहा है। विद्या भवन पॉलीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने बताया कि इंजीनियरिंग में डिग्री व डिप्लोमा धारी अभ्यर्थी बीटीईआर, राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित रबर टेक्नोलोजी पोस्ट डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते है। कार्यक्रम में विक्रम सिंह कुमावत, डा. मनीष रावल, प्रियंका जालोरा इत्यादि ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पालीमर साइंस, टेक्नो, एन. जे. आर. के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।