सब काम छोड़, आज करना है मतदान
udaipur. चुनाव.. मतदान… लोकतंत्र का महापर्व। रविवार का दिन राज्य की जनता के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस दिन वे जिसे मत देंगे, फिर पांच वर्ष तक वे वापस उसके विरोध में कुछ नहीं कर पाएंगे। न सिर्फ सोच समझकर बल्कि आने वाले पांच साल ध्यारन में रखकर मतदाता को मतदान करना होगा अन्यथा फिर पांच सालों तक सिवाय कोसने के कुछ नहीं कर पाएंगे।
इस चुनाव में जहां निर्वाचन आयोग की कड़ाई ने न सिर्फ प्रत्यासशियों के बल्कि उनके साथ कई काम-धंधों के पेट पर भी लात मार दी बल्कि चुनाव में आने वाले काम की उम्मीद में दिन निकालने वालों के होश भी गुल कर दिए। बैनर, परचे, झंडियां, पोस्टीर आदि इस बार नहीं के लायक दिखे। दिखे वो भी पर्यवेक्षकों ने जब्तच करवा लिए।
प्रत्याशी चाहे कोई भी हो लेकिन ईमानदार हो। किसी जातिवाद को लेकर किसी ने वोट मांगे, किसी ने जवान होने के नाम पर वोट मांगे तो किसी ने दोनों को बेजा बताते हुए नए को मौका देने का आग्रह किया। किसी पार्टी ने वैचारिक मतभेद के बावजूद प्रतिद्वंद्वी के बागी को ही टिकट देकर चुनाव लड़वा दिया। ऐसे में मतदाता के सामने पसोपेश की स्थिति बन गई। हालांकि मतदाता मौन है। उसे मालूम है कि किसे मत देकर विजयी बनाना है ताकि वो उसकी आवाज बन सके।