उदयपुर। राज्य विधानसभा चुनाव हो चुका है। मतदान के बाद प्र्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो चुका है जो 8 दिसंबर को खुलेगा। इस बीच चुनाव के एक दिन बाद जहां प्रत्याशियों में जितना उत्सुकता और चिंता नहीं रही, वहीं उनके समर्थक कयास लगाते जरूर दिखे।
अधिक वोटिंग किस बात का प्रतीक है। यूथ भी तो वोट देने निकला है। यूथ तो अपने उनकी तरफ है लेकिन गांवों में भी तो ज्यादा वोटिंग हुई। वहां कौनसा यूथ है। ये उनकी तरफ जाता है। वगैरह.. वगैरह..। दोनों दलों के समर्थक ‘सुनिश्चित’ शब्दं से दूर ही रह रहे हैं। दावे जरूर कर रहे हैं लेकिन दावों में खोखलापन साफ दिखलाई देता है। कारण कि वोटिंग का प्रतिशत अत्यधिक बढ़ जाना। यूथ का आगे आना जरूर अच्छी बात है लेकिन गांवों में अधिक वोटिंग का मतलब? इस तरफ कोई नहीं बोलना चाहता। भाजपा के मीडिया संभाग प्रभारी ने तो फोन तक उठाना छोड़ दिया है। अपना फोन तक नहीं उठा रहे हैं। मेवाड़ हर बार सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाता है। इसलिए भी मेवाड़ की ओर सभी की नजरें हैं।
मेवाड़ की 28 सीटों में से जो अधिक सीटें ले जाता है, वही दल राज्य में सरकार भी बनाता है। इस पूरे चुनावी समर में सबसे हॉट सीट बनी वल्लभभनगर की ओर सबकी नजरें हैं। बागी रणधीरसिंह भींडर के समर्थन में जो भीड़ उमड़ी, वह सबको हतप्रभ कर रही है। जो कमिटेड हैं, उनके शब्दों में तो खाली भीड़ है लेकिन राजनीतिक पंडितों की नजर में वह बहुत आश्चर्यजनक है।
शहर भाजपा प्रत्याशी कटारिया जहां सुबह पार्टी कार्यालय में आकर बैठे और फोन से सब तरफ की जानकारी लेते रहे वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के चेहरे से थकान साफ दिखलाई दे रही थी। अपने दोस्तों के साथ मोहल्लें में चबूतरे पर चाय पीने का आनंद लेते श्रीमाली बिल्कुल निश्चिंत दिखाई पडे़।