‘कलांगन’’ पर गोटीपुवा नर्तकों ने मन मोहा
शिल्पग्राम उत्सव-2013
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव-2013 की पहली सांझ ‘कलांगन’ पर ओडीसा के नन्हें नर्तकों ने गोटीपुवा में अपनी दैहिक लोच से समां बांध दिया वहीं गुजरात के भावनगर के विशेष बालकों ने ‘‘कृष्ण लीला’’ का अद्भुत नजारा प्रस्तुत किया। इससे पहले राज्यपाल मार्गरेट आल्वा ने नगाडा़ बजा गणेशजी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री दयानंद मांदरेकर बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।
राज्यपाल का शिल्पग्राम पहुंचने पर केन्द्र के निदेशक शैलेन्द्र दशोरा, अतिरिक्त निदेशक मोहम्मद फुरकान खान ने स्वागत किया। हिमाचल की कलाकारों ने पारम्परिक रूप से राज्यपाल की अगवानी की। इसके बाद राज्यपाल ने चौपाल पर जालोर की गेर के नजारों को देखा। यहीं बहुरूपिया कलाकारों ने राज्यपाल के समक्ष अपनी कला का प्रदर्शन किया। राज्यपाल ने मुक्तकंठ से कलाकारों की हौसला अफजाई की। इसके बाद राज्यपाल ने हाट बाजार का अवलोकन किया। यहां पर उन्होंने जैसलमेर के पट्टू बुनकर की बुनाई कला को देखा व गांधी चरखे पर कतई की प्रक्रिया के बारे में जाना। हाट बाजार में ही राज्यपाल ने शिल्पग्राम उत्सव में पहली बार शिल्पकारों की मदद के लिए शुरू की गई डिजिटल हट का अवलोकन किया। इस दौरान कई शिल्पकारों ने राज्यपाल आल्वा का अभिवादन किया। इस अवसर पर संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल, जिला कलक्टर आशुतोष ए. टी. पेडणेकर, पुलिस अधीक्षक महेश गोयल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
रंगारंग कार्यक्रम : शाम को रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई तत्पश्चात ‘बंध’ में बाल नर्तकों ने अपनी देह लोच से विभिन्न प्रकार की मुद्राएं व संरचनाएं बनाकर दर्शकों की दाद बटोरी। प्रस्तुति की आखिरी संरचना में बाल कलाकारों ने तिरंगे का प्रयोग श्रेष्ठ रूप में किया। कर्नाटक के तुलु भाषी नर्तकों ने करघा कोलट्टा की प्रस्तुति से अपनी संस्कृति का रंग बिखेरा। छत्तीसगढ़ के गौंड माडिया नृत्य में दर्शकों को आदिम संस्कृति की झलक दिखाई दी।
कार्यक्रम में गोवा के घोडे़ मोडनी नृत्य ने दर्शकों में जोश का संचार करते हुए गोवा के शौर्य का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर गुजरात के भावनगर से आए विशिष्ट बालकों ने ‘‘कृष्णलीला’’ की प्रस्तुति से कार्यक्रम में अलग रंग भरा। बालकों ने अपने शरीर को रजत रंग (सिल्वर) से रंगा हुआ था तथा इन्होंने शारीरिक भाव-भंगिमाओं से भगवान श्रीकृष्ण की झलक अनूठे अंदाज में उदयपुर के कलारसिकों को दिखाई। उद्घाटन की शाम अरुणाचल का ब्रो-जाई नृत्य, उत्तराखण्ड का छपेली, हिमाचल प्रदेश का नाटी नृत्य जहां दर्शकों द्वारा सराहा गया वहीं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया छाऊ नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति रही। कार्यक्रम के आखिर में गुजरात के लोक तथा जनजाति वाद्य यंत्रों का वृंद ‘आदिनाद’ पर लयकारी के साथ दर्शक झूम उठे।