शिल्पग्राम उत्सव-2013
उदयपुर। उदयपुर के हवाला गांव में आयोजित दस दिवसीय ‘शिल्पग्राम उत्सव-2013’ के दूसरे दिन हाट बाजार ने रंगत पकड़ना शुरू किया तथा दोपहर व शाम तक बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे व मेले के आनन्द के साथ-साथ खरीददारी व कलात्मक प्रस्तुतियों को आनन्द उठाया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित उत्सव में रविवार को मेला प्रारम्भ होते ही बड़ी संख्या में लोग अपने परिवारजनों व मित्रों के साथ उत्सव का नजारा देखने के लिये शिल्पग्राम आना प्रारम्भ हो गये तथा शाम तक हाट बाजार में लोगों की आवाजाही बड़ी तादाद में देखी गई। हाट बाजार में लोगों ने लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों का आनन्द उठाया इनमें गुर्जरी पर कच्छी घोड़ी कलाकार राम प्रसाद व उनके साथियों के नृत्य को देखने लोगों का हुजूम एकत्र हो गया यहीं पर गरासिया कलाकारों ने भी अपने नृत्य से मेवाड़ की आदिम परंपरा का प्रदर्शन किया।
हाट बाजार में भ्रमण के दौरान बहुरूपिया कलाकारों ने अपनी कलाओं से लोगों का मनोरंजन किया। शिल्पग्राम के हाट बाजार के मृण कुंज, वस्त्र संसार, दर्पण बाजार, धातु धाम, अलंकरण इत्यादि में लोगों ने शिल्पकारों से कलात्मक वस्तुएँ खरीदी।
हैदराबाद के पाक शिल्पी व हरियाणा का जलेबा पसंद
हाट बाजार में हैदराबाद के पाक शिल्पी के बनाये व्यंजनों का स्वाद लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया है। हैदराबादी बिरयानी, मलई बैंगन, मसाला डोसा का स्वाद लाजवाब है वहीं कला विहार के समीप बनाये गये नये फूड जोन में हरियाणा के पाक शिल्पी द्वारा बनाया देसी घी का जलेबा आगंतुकों द्वारा बेहद पसंद किया गया है। इसके अलावा मेले में अमरीकन भुट्टे, चाट, पकौड़ी, दूध जलेबी आदि के साथ-साथ मराठी खान-पान में झुणका भाकर, पूरन पोळी का स्वाद उदयपुर वासियों के लिये नूतन अनुभव है।
रेत की कला में निखरे गौतम बुद्ध
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में ऑडीशा से आये सुबल महाराणा की बनाई रेत की कला कृति उत्सव में लोगों का आकर्षण का केन्द्र बन रही है। सुबल अपनी पत्नी व बेटे के साथ रेत पर आकृति सृजन करते देखे जा सकते हैं। सुबल ने इस वर्ष गौतम बुद्ध की ध्यान मग्न आकृति का सृजन रेत से किया है। मेले में आने वाले लोग सुबल महाराणा की कलाकृति को अपने कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया के जरिये अपने साथियों को भेज रहे हैं।
संगम में लोक चित्रकला प्रदर्शन, बच्चों ने रंगा कैनवास
शिल्पग्राम उत्सव-2013 में शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में लोक चित्रण का प्रदर्शन किया जा रहा है। यहां पर महाराष्ट्र के वारली कलाकार, गुजरात के राठवा आदिवासी, राजस्थान के गरासिया व फड़ चित्रकार कैनवास पर लोक चितराम की रचना करते देखे गये। इसी सभागार में बच्चों को चित्रकारी सिखाने की भी व्यवस्था है तथा रविवार को उत्सव में अभिभावकों के साथ घूमने आये बालकों ने कैनवास में पर कल्पनाओं को कूंची व रंग से उकेरा।
‘कलांगन’ पर पुरूलिया छाऊ ने रंग जमाया
मुख्य रंगमंच ‘कलांगन‘ पर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया छाऊ कलाकारों ने अपना रंग जमाया वहीं गुजरात के आदिनाद ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया। रंगमंच कार्यक्रम का आगाज़ युवक सेवा एवं सांस्कृतिक प्रवृत्ति विभाग गुजरात सरकार के सौजन्य से प्राप्त लोक व आदिम वाद्य यंत्रों के वृंद ‘आदि नाद’ से हुई जिसमें थाली वादन, डाकला, सुंतवारी, अरधी गायन, संतर, जोड़िया पावा, घड़ा, जनवैयो ढोल, सिदी मुगरवान, मसंडा, भूंगल, देव ढोल, शहनाई, पीहा, सागी ढोल, तारपा, पावरी, मादल, संबल आदि वाद्यों को संजोकर निशिथ मेहता द्वारा रचित सिम्फनी में लोगों को एक ताल, एक सुर और आपसी तारतम्य का अनुठा मिश्रण देखने को मिला। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल से आये कलाकारों ने पुरूलिया छाऊ में ‘‘शंकासुर वध’’ के प्रसंग का मंचन किया। जिसमें जोश स्फूर्ति और लयकारी के साथ भाव प्रवणता उत्कृष्ट बन सकी।
उत्तराखंड का थड़िया चौफला कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति रही वहीं ऑडीशासरकार के सौजन्य से उत्सव में आये बाल नर्तकों गोटीपुवा नृत्य में अपने करिश्माई नर्तन से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। गुजरात के भाव नगर से आये विशेष बालकों ने दूसरे दिन भी कृष्ण लीला की प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। प्रस्तुति की एक-एक संरचना दर्शनीय व चित्तमोहक बन सकी। गोवा का घोड़ मोडनी नृत्य पर दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का अभिवादन किया। सुदूर अरूणाचल से आई बालाओं ने अनेनाना नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी।
गुजरात के डांग आदिवासी कलाकारों ने डांगी नृत्य में वृत्ताकार में तीव्र गति से घूमते हुए आकर्षक पिरामिड की रचना की। इसके अलावा कार्यक्रम में हिमाचल का नाटी, फारूख मोहम्मद का भपंग वादन, छत्तीसगढ़ का गौंड मारिया आदि नृत्य उल्लेखनीय प्रस्तुतियां रही।