एक युवा ‘पायलट’ के भरोसे पूरी कांग्रेस
उदयपुर। विधानसभा चुनावों में जबरदस्तर हार का मुंह देखने के बाद कांग्रेस ने अपने विमान का नया पायलट अजमेर के सांसद सचिन को बनाया है। फैसले पर आलाकमान यानी सोनिया गांधी की भी मुहर लगी बताते हैं। राजनीतिक क्षेत्रों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
प्रदेशाध्यक्ष के लिए राहुल गांधी की नजरों में डॉ. सी. पी. जोशी भी कारगर उम्मीदवार हो सकते थे लेकिन शातिर डॉ. सी. पी. जोशी ने भी ऐसे हालात में संभव है पल्ला झाड़ लिया और सचिन पायलट की उम्मीदवारी को ही समर्थन दे दिया। या क्या पता कि इस मामले में राहुल गांधी की चली ही नहीं, जो हो नहीं सकता क्यों कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का दावेदार बनाकर चल रही कांग्रेस राहुल की बात न माने, संभव नहीं। यानी राहुल गांधी ने स्वयं भी जोशी के बजाय सचिन को चुनना ज्याादा ठीक समझा तो क्या डॉ. जोशी, गहलोत का युग गया और सचिन जैसे युवाओं का युग आ गया या विधानसभा चुनाव में हार से हताश कांग्रेस आलाकमान ने सारी चाबियां अपने पास लेकर नए पायलट को विमान की कमान सौंप दी कि विमान में कुछ सीटें तो यात्रियों से भर दो ताकि विमान खाली खाली न चलाना पडे़ या यह भी कि कांग्रेस का अब वरिष्ठ नेताओं से भरोसा उठ गया है।
पायलट की नियुक्ति के बाद सोमवार को शहर में जहां कांग्रेस जनों ने मीडिया के माध्यम से बधाई और शुभकामनाओं के संदेश भेजे वहीं मंगलवार को अलग अलग जगह आतिशबाजी के कार्यक्रम हुए। शहर जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडि़या के नेतृत्व में सूरजपोल चौराहे पर आतिशबाजी की गई जबकि कभी भी किसी भी गुट में रहने वाले और हर जगह अपने विरोधियों को जन्म देने वाले धानमंडी के नेता ने भी आतिशबाजी करवाई।
उधर पायलट की नियुक्ति हुई और इधर गुटबाजी में छिन्न भिन्न हो रही शहर जिला कांग्रेस में छपास नेताओं सहित एक बार फिर सभी गुट सक्रिय हो गए और अलग-अलग जगह आतिशबाजी कर न सिर्फ रिकॉर्डिंग करवाई बल्कि फोटो भी खिंचवा लिए ताकि सनद रहे। साहब, आपकी नियुक्ति पर मैंने इत्ते के पटाखे फुड़वाए और उन्होंने तो कुछ भी नहीं किया।
पायलट कांग्रेस संगठन को सुधारने में कितना सफल हो पाते हैं, अपने पिता के नाम को कितना आगे बढ़ाते हैं, यह तो समय बताएगा लेकिन अगर कुछ सुधार करना है तो न सिर्फ ऐसे छपास के रोगियों को संगठन दूर रखना होगा बल्कि खुद को भी ऐसे चंपू नेताओं से दूर रहना होगा। आश्चर्य होता है जब विधानसभा चुनाव में प्रत्यातशी की दावेदारी के लिए आवेदन मांगे गए तो 29 दावेदार उदयपुर से थे। इनमें वे भी शामिल थे जो हर चुनाव में सिर्फ दावेदारी पेश करते हैं और टिकट उन्हें नहीं मिलता है। फिर भी उन्होंने दावेदारी की। सिर्फ कागजों में ही सही, नाम संगठन के आलाकमान तक जाता रहना चाहिए।