संस्कृत संसार की समृद्धतम भाषा – प्रो. सारंगदेवोत
विद्यापीठ में अनौपचारिक संस्कृत शिक्षा का प्रथम दीक्षा समापन समारोह
उदयपुर। हमारी भारतीय संस्कृति को पुनर्जन्म, आत्मा की अमरता आदि बातों से विश्वक की अन्य संस्कृति से अलग करता है क्योंकि हजारों वर्षों बाद भी आज भी अपने मूल स्वरूप में है क्योंकि हमारी संस्कृति में प्राचीनता, निरन्तरता, सहिष्णु ता, एवं उदारता के कारण उसमें ग्रहणशीलता और अनेकता में एकता है।
ये विचार राष्ट्रीाय स्वनयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक श्रीवर्धन ने सोमवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय के श्रमजीवी महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की ओर से आयोजित सिल्वर जुबली हॉल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीसय संस्कृत संस्थान के द्वारा अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण की प्रथम दीक्षा के समापन समारोह में बतौर अतिथि उद्बोधन में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अपनी विरासत को समझने के लिये संस्कृत का ज्ञान जरूरी है। साथ ही उन्होंने अध्यापकों से कहा कि पढाई के साथ- साथ वे छात्रों में भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कारों के बीज डालें।
विभागाध्यक्ष डॉ0 धीरज प्रकाश जोशी ने बताया कि मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि संस्कृत संसार की सबसे समृद्ध भाषा है। इसे संस्कृत के अध्ययन, अध्यापन में भारत दुनिया के सिरमौर राष्ट्रा के रूप में स्थापित है। जब पश्चिमी राष्ट्र में लोग पेड़ों की छाल और पत्ते पहना करते थे, उस समय भारत में वैदिक ऋचाओं की रचना हो चुकी थी। अध्यक्षता करते हुए डीन डॉ. सुमन पामेचा ने कहा कि संस्कृत में ज्ञान का विषाल भण्डार छिपा है। संस्कृमत भाषा भारत की संस्कृति की पहचान है जहां वासुदेव कुटुम्बकम सर्वे भवन्तु सुखिना से हमारी संस्कृति को पहचाना जाता है। विशिष्टे अतिथि भ्रष्टाभचार निरोधक ब्यूरो के एएसपी उमेश ओझा ने कहा कि भारतीय संस्कृति आश्रम व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थों को विशिष्ट स्थान दिया गया है। दीक्षा समारोह में शहर के वीबीआरआई, सुखाडिया विश्वाविद्यालय तथा राजस्था न विद्यापीठ के 45 विद्यार्थियों को तीन महीने के पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया गया तथा आज प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। समरोह में रीना खराडी़, डॉ. पंकज आमेटा, हेमा सिसोदिया, गजेन्द्र पारगी ने भी विचार व्यक्त किये।
मनाया जायेगा माघ समारोह : कुलपति प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने घोषणा की कि इस वर्ष से संस्कृत विभाग की ओर से दो दिन का माघ समारोह मनाया जायेगा जिसमें संस्कृत में छिपे विज्ञान तकनिकी अर्थ शास़्त्र, गणित, खगोल, वेद कर्म, आदि प्रकल्पों पर मंथन किया जाएगा।