मत्स्य मूल्य संवर्धन प्रशिक्षण का समापन
उदयपुर। मात्स्यकी महाविद्यालय में सोमवार से मत्स्य मूल्य संवर्धन पर शुरू हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम डूंगरपुर क्षेत्र के मत्य् लि कृषकों ने मछली के फाफडे़, चकली, अचार और पापड़ बनाना सीखा।
मुख्य अतिथि डॉ. एस. आर. मालू ने मत्स्य कृषकों का आह्वान किया कि विश्वविद्यालय की हर इकाई किसानों के लिए स्वरोजगार का हर साधन एवं प्रशिक्षण देने को तैयार है जिसमें मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं बकरी पालन के अलावा उन्नत तकनीकी से विकसित धुंआ रहित चूल्हे की जानकारी एवं प्रशिक्षण का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। अध्यक्ष डॉ. विमल शर्मा ने मत्स्य प्रसंस्कीरण को स्वरोजगार का साधन बनाकर अतिरिक्त आय अर्जित करने व पौष्टिक मत्स्य आहार पर बल दिया।
डॉ. एस. आर. मालू, परियोजना समन्वयक एवं अधिष्ठाता राजस्थान कृषि महाविद्यालय के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ. विमल शर्मा अधिष्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय की अध्यक्षता व विशिष्ट अतिथि छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. वाई सी भट् की उपस्थिति में हुआ।
पूर्व अधिष्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय डॉ. एल. एल. शर्मा ने मत्स्य कृषकों को मछली के विभिन्न उत्पादों की जानकारी के अलावा मत्स्य मूल्य संवर्धन का महत्व, मछली की डिब्बाबन्दी, आधुनिक मशीन द्वारा रिटॉर्ट पाउच पैकिंग एवं मछलियों मे उपस्थित सुपाच्यता उनके औषधीय गुण जैसे ओमेगा -3 ओमेगा-6 और आवश्यक अमीनो अम्ल के अलावा मछली प्रोटीन का सुगम साधन आदि बातों की विभिन्न जानकारी दी। आयोजन मे स्नातकोतर एवं स्नातक छात्र एवं छात्राओं ने बढ-चढ़ कर भाग लिया जिसमे विशेष तौर पर श्रीकांत इंगले, सुरजमल यादव, ज्योति माटोलिया, खुशबू रानी, अमृता प्रीतम शिवानी, कृष्ण यादव, जे पी यादव एवं महेश सोनवाल का योगदान सराहनीय रहा।