उदयपुर। यदि आपको दीर्घायु जीवन जीना है तो प्रकृति द्वारा प्रदान की गई शुद्ध खाद्य वस्तओं का सर्वाधिक उपयोग करना चाहिये। इससे न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे वरन् औरों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।
इन्दौर से आये डॉ. जगदीश जोशी ने महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान द्वारा विज्ञान समिति में आयोजित एक बैठक में वरिष्ठ नागरिकों को संबोधित करते हुए उक्त बात कहीं। उन्होनें बताया कि वृद्धावस्था में व्यक्ति सर्वाधिक रूप से वाद या पित्त की समस्या से जुझता है। ऐसे में उन्हें सूखा आंवला को रात को भिगोकर प्रात: उसके पानी में में जीरा पाउडर मिलाकर पीना चाहिए। चाय के स्थान पर गुड़, आंवला व नींबू के काढ़े का सेवन करना चाहिये। इससे वाद, पित्त व कफ से मुक्ति मिलेगी।
डॉ. जोशी ने बताया कि पानी हमेशा बैठकर पाना चाहिए। प्रात: नाश्ते में अन्य वस्तुओं के स्थान पर फलों का उपयोग करना चाहिए। विटामिन डी के लिए धूप का सेवन अवश्य करें। खाना खाने से एक घ्ंाटा पूर्व व खाने के 1 घंटे के बाद पानी पीना चाहिए। यदि पानी के स्थान पर दिन में छाछ का उपयोग करें तो इससे खाना पचेगा और पाचन शक्ति मजबूत होगी। सलाद, छाछ या सब्जी में ऊपर से नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिये। शाम को हल्के खाने के रूप में दलिया या उपमा का उपयोग करना चाहिये।
इस अवसर पर इन्हीं के साथ आई सुनीता जोशी ने हॉल में उपस्थित सैकड़ो वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक स्वस्थ्ता के लिए ध्यान एवं योग क्रियाएं अनेक क्रियाएं सिखाई। प्रारम्भ में महासचिव भंवर सेठ ने कहा कि प्रकृति ने हमें स्वस्थ रहने के लएि अनेक वस्तुएं उपलब्ध करायी है लेकिन हम उनकी उपलब्धियों से जानबूझकर अनजान बनते हुए दवाईयों पर चल रहे है। इस अवसर पर हॉल में उपस्थित अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा सहित 5 सदस्यों ने भवर सेठ के उदयपुर पेंशनर समाज के अध्यक्ष बनने, कन्हैयालाल नलवाया के स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स के उदयपर के अध्यक्ष बनने पर तथा तारा दीक्षित को युगधारा संस्था की ओर से सम्मानित किये जाने पर पर यहंा भी उनका अभिनंदन किया गया।