उदयपुर। अतिशय क्षेत्र अडिन्दा पार्श्व्नाथ में गणधराचार्य कुन्थुसागर महाराज के शुभाशीर्वाद से समता शिरोमणि आचार्य सुकुमानंदी के सान्निध्य में तीन दिवसीय भव्य वेदी प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव मंगलवार से प्रारंभ हुआ।
मंगलार सुबह 9 बजे महेन्द्र कुमार बम्बोरी जगत ने झण्डारोहण किया। पाण्डाल का उदघाटन विजयचंद्र धुरावत मुम्बई, दीप प्रज्जवलन सुरेश कुमार हिंसावत कुराबड, विधि विधान पंडित महिपाल जैन, विनोद कुमार पगारिया, दिनेश कुमार जैन ने मंत्रोच्चालर से किया। आगुन्तक अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट अध्यक्ष पुरणमल लोलावत एवं संरक्षक पूर्व जिला प्रमुख छगनलाल जैन द्वारा किया गया। कलश सकलीकरण, इन्द्र प्रतिष्ठा, वात्सल्य भोज, विधान व सम्मान समारोह भी हुए। सांयकाल भगवान पार्श्वरनाथ एवं पदमावती माताजी की महाआरती हुई। रात्रि को बंटी एण्ड पार्टी उदयपुर द्वारा सास्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई जिसमें सैकडों श्रावक-श्राविकाओं ने आन्नद लिया।
आचार्य सुकुमालनंदी ने कहा कि नर से ही नारायण बनता है। प्रतिष्ठा महोत्सव राग रोगन या मनोरंजन का मेला नहीं है अपितु प्रतिष्ठा महोत्सव से कंकर से शक्कर, पतित से पावन, पार्श्वम से परमेश्वर, शव से शिव, दु:खी से सुखी बहिनामा से परमात्मा बनता है। यदि भगवान की भक्ति करते-करते भगवान के गुणों के अंगीकार नही किया तो महोत्सव में भाग लेना व्यर्थ है। भगवान बनना ही भक्ति का फल है। भक्ति मुक्ति देती है। वे ध्वजारोहण के बाद पाण्डाल में स्थित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। पूर्व में भी 1996 में हुए अडिन्दा पाश्र्वनाथ पंचकल्याण प्रतिष्ठा में सुमेरू पर्वत, पदम सरोवर, कैलाश पर्वत, उतंग पार्श्वपनाथ आदि ऊंची प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा व सूरी मंत्र आचार्य सुकुमालनंदी के हाथों से सम्पन्न हुए थे। आज पुन: महामस्तकाभिषेक भी उनके हाथों से हुआ।
आज होगा कवि सम्मेकलन : बुधवार को शान्ति धारा, हवन वेदी, मूर्ति स्थापना, मंगल आरती एवं कवि सम्मेलन होंगे। कवि सम्मेलन में सूत्रधार बलवंत बल्लू केसरियाजी, जानी वैरागी, बाबू बंजारा बारा, अशोक चारण जयपुर, निशा पंडित उज्जैन, पार्थ नवीन प्रतापगढ, सिद्वार्थ देवल उदयपुर आदि काव्य पाठ करेंगे।