संरक्षित कृषि में अभियान्त्रिकी सहभागिता पर राष्ट्रीय अधिवेशन
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व्विद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने कहा कि कृषि अभियन्ताओं का देष के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास में अपूर्व योगदान है। ग्रामीण क्षेत्रों में मृदा एवम जल संरक्षण, जल ग्रहण क्षैत्र विकास एवं जल प्रंबधन के क्षेत्र में कृषि अभियन्ताओं के कार्यों से प्रदेश के जनमानस का आर्थिक एवंम सामाजिक विकास हुआ है ।
वे शुक्रवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वाविद्यालय के संगठक, प्रौद्योगिकी एवं अभियान्त्रिकी महाविद्यालय की स्थापना के स्वर्ण जंयती वर्ष के कार्यक्रमों के अर्न्तगत भारतीय कृषि अभियन्ता परिषद् का 48 वां राष्ट्रीय अधिवेशन व संरक्षित कृषि में अभियांत्रिकी सहभागिता पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. गिल ने कहा कि वर्तमान में दुनिया भर के पचास से अधिक देशों के लगभग अस्सी मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल में संरक्षित कृषि की जा रही है और यह आंकड़ा तीव्रता से बढ़ रहा है। उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रषिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीआर) चण्डीगढ़ द्वारा कृषि अभियान्त्रिकी महाविद्यालय उदयपुर को उत्तंर भारत के सर्व श्रेष्ठ तकनीकी संस्था घोषित किये जाने की बधाई दी। आदिवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों के किसानांे को कृषि तकनीकों से लाभान्वित होना अभी बाकी है इसलिये तीव्र प्रयासों द्वारा इन तकनीकों को जरुरतमंदो तक प्रभावी रुप से पंहुचाया जाना चाहिए। उन्होनें कहा कि कटाई उपरांत तकनीक एवं मूल्य संवर्धन क्षेत्र में भी कृषि अभियंताओं की मध्यस्थता अत्यावष्यक है। इस क्षेत्र में सरकारी विभागों, विŸाीय संस्थाओं,गैर सरकारी संस्थाओं आदि के सम्नवित प्रयास की आवष्यकता है जिससे उचित व सुरक्षित पैकेजिंग व मूल्य संवर्धन द्वारा कटाई -उपरांत हानियां घटाई जा सकें।
भारतीय कृषि अभियन्ता परिषद् नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. वी. एम. मियान्दे ने अध्यक्षीय उदबोधन में परिषद् का इतिहास बताते हुए वर्ष भर के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि डा. योशिएके किसिडा मुख्य सम्पादक एशिया अफ्रीका एवं लेटिन अमेरिका मे कृषि आधुनिकीकरण पत्रिका जापान के सम्पादक ने पत्रिका के गत 40 वर्षों का इतिहास बताते हुए कहा कि विकासशील देशों के 70 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हुए एवं गरीब हैं। आज कृषि आधुनिकीकरण में तकनीक के विकास से उन्हें आगे लाने की आवश्यिकता है। इसी कड़ी में अमेरिकन कृषि अभियन्ता परिषद् के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. ललित वर्मा ने वैष्विक स्तर पर विभिन्न महाद्वीपीय कृषि अभियान्त्रिकी संस्थाओं एवं वैज्ञानिकों को एकजुट होकर जल,खाद्य एवं कृषि के सतत विकास एवं उपलब्धता को सुनिष्चित करने के लिए एक टीम के रुप में कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों की सलाह को नीति निर्धारण द्वारा महत्व देने की एवं इन सिफारिशों को लागू करने की विष्व स्तर पर आवश्य कता है।
आरम्भ में कृषि अभियान्त्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ. बी. पी. नन्दवाना ने सभी आगुन्तकों का स्वागत किया एवं महाविद्यालय की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर वर्ष पर्यन्त आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाविद्यालय के विगत 50 वर्षों के विभिन्न उपलब्धियों की जानकारी भी दी।
भारतीय कृषि अभियन्ता परिषद द्वारा कृषि अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले देष के ख्यातनाम वैज्ञानिकों एवं पुरोधा अभियन्ताओं को सम्मानित किया गया। देष के प्रथम भारतीय कृषि अभियन्ता एवं राजस्थान कृषि विश्वनविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. के. एन. नाग को कृषि अभियान्त्रिकी के सर्वोच्चव सम्मान ‘डॉ. मेशन वाघ पायोनियर लाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड‘ व केन्द्रीय क्षारीय मृदा अनुसंधान संस्थान, करनाल के डॉ. एस. के. गुप्ता को आईएसएई गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया। कृषि अभियांत्रिकी में विभिन्न उपलब्धियों के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए 20 से अधिक अभियन्ताओं व वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया। वार्षिक अधिवेशन के आयोजन सचिव डा. घनष्याम तिवारी ने धन्यवाद दिया एवं कार्यक्रम का संचालन डा. दीपक षर्मा, प्राध्यापक एवं अध्यक्ष, नवीनीकरण ऊर्जा अभियान्त्रिकी विभाग ने किया।
ई-पाठयक्रम की वीडियो सीडी का अनावरण
अधिवेशन में कृषि अभियान्त्रिकी के सम्पूर्ण विषयों के ई- पाठयक्रमों की वीडियो सीडी का अनावरण किया गया। सीडी के निर्माण कार्य में गत दो वर्षो से कार्यरत डॉ. दिनेश जोशी ने बताया दी कि राष्ट्रीय कृषि इनोवेशन परियोजना के अर्न्तगत उपरोक्त सीडी में देश के 25 संस्थानों के 80 ख्यातनाम द्विगजों एवं कृषि अभियान्त्रिकी के पुरोधा वैज्ञानिकों एवं प्राध्यापको ने अपने अपने क्षेत्र के विषिष्ट अभियान्त्रिकी के 64 विषयों पर 2000 व्याख्यान सम्मिलित किये गये हैं जिसको छात्र एवम षिक्षक किसी भी समय उपयोग मे ले कर विषय सम्बन्धी महत्वपुर्ण जानकारी हासील कर सकते है। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा दिये गये अनुदान से इस सीडी का निर्माण किया गया है। इस ई-पाठ्यक्रम के निर्माण में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर ने जल एवं मृदा अभियान्त्रिकी, पंजाब कृषि विष्वविद्यालय ने फार्म मषीनरी एवं पावर अभियान्त्रिकी तथा आणंद कृषि विश्वीविद्यालय ने खाद्य एवं संरक्षण अभियान्त्रिकी के मूल विज्ञान आदि के व्याख्यानों का समन्वय किया है।