हास्य की रचनाओं ने श्रोताओं को किया लोटपोट
उदयपुर। लेकसिटी लायंस चेरिटेबल ट्रस्ट, लायंस क्लब उदयपुर लेकसिटी व लायनेस क्लब उदयपुर लेकसिटी के संयुक्त तत्वावधान में खचाखच भरे टॉऊन हॉल स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच में पर आयोजित कवि सम्मेलन में श्रोता हास्य रस की कविताओं पर लोटपोट हो गये। डॉ. विष्णु सक्सेना के कविता पाठ के दौरान खूब तालियां बजी और श्रोताओं की मांग पर उन्हें दो बार वापस बुलाना पड़ा।
राष्ट्रीय कवियों कोटा के हास्य कवि सुरेश अलबेला, मुम्बई के गज़लकार शकील आजमी, अलीगढ़ के गीतकार डॅा. विष्णु सक्सेना, अजमेर के हास्य कवि रास बिहारी गौड़, आगरा की गीतकार सुमन सोलंकी, उज्जैन के हास्य एंव व्यंग्य कवि कमलेश दवे ने अपने कवितापाठ से सभी का जबरदस्त मनोरंजन किया। उदयपुर के प्रकाश नागौरी सूत्रधार थे।
मुंबई के शकील आज़मी ने गज़लों से माहौल में समां बांधते हुए ‘परों को जमाना देखता है,ज़मी पर बैठ के क्या आसमान देखता है, कमा के पूरा किया जितना भी ख़सारा था वहीं से जीत के निकला जहां मैं हारा था.., चांद ला कर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर..‘ गज़ल प्रस्तुत की। आगरा से आयी गीतकार सुमन सोलंकी ने ‘मैं जिन्दगी की जनवाह लायी हूं,मैं चांदनी से झिलमिलाती रात लायी हूं,इन बादलों की ओट से निकलेगी चंादनी,मैं तेरे लिये प्यार की सौगात लायी हूं.., दीप उम्मीद के जलाएं है नयन भी राह पर बिछाएं है अब तो आ जा तुझे कसम अपनी,सब्र के पांव डगमगाएं है.., सुमन सेालकी ने श्रृगांर रस की कविता के अतिरिक्त राष्ट्रीय एकता व अखण्डता पर ‘चांद तारे अलग पर गगन एक है, एक है धरा और पवन एक है, इस चमन में सुमन से विविध रूप में एक है हम हमारा वतन एक है..‘,प्रस्तुत की तो तालियों की गडग़ड़ाहट से हॉल गूंज उठा।
अजमेर के हास्य कवि रस बिहारी गौड ने ‘पति पन्ति का कलेण्डर, झगड़े का वार्षिक बवन्डर, जनवरी में आगाज क्रंान्ति सबसे पहले आती है मकर सक्रान्ति,पत्नि तिल का ताड़ बनाकर लताड़ती है, छब्बीस जनवरी को अपना झण्डा पति का छाती पर गाड़ती है..‘, सूत्रधार कवि प्रकाश नागौरी ने जब ‘यह झूठ है कि आदमी कई मामलों में एक उम्र के बाद पूर्ण विराम हो जाता है, सच तो यह है कि समय, सुविधा व सुअवसर मिले तो आसाराम हो जाता है..‘ सुनायी तो हॉल में हंसी का फव्वारा छूट गया।
उज्जैन के हास्य एंव व्यंग्य कवि कमलेश दवे ने ‘मां का दिल नरम है मगर स्वभाव से कडक़ दिखती है मां की सूरत में मुझे भगवान की झलक दिखती है, मां के हाथों की रोटियां जिस रोज़ में खाता हूं, मेरी सांसों में महक, चेहरे पर चमक दिखती है..‘, कोटा के हास्य कवि सुरेश अलबेला ने ‘भेजा था दूध लेने दूध लेकर जाम आ गये, वे सेाचते है की हमारे काम आ गये, इतना विकास हो गया है मेरे मुल्क का,निकले थे राम लाने आसाराम आ गये.. ‘ को श्रोताओं ने बेहद सराहा। अलीगढ़ के गीतकार डॅा. विष्णु सक्सेना ने ‘मंदिरों की बनावट सा घर है मेरा, थाल पूजा का लेकर चले आईये, तुमने मुझे पत्थर दिल कह तो दिया, पत्थर पर लिखोगे, मिटेगा नहीं.. ‘पर श्रोताओ ने तालियों की दाद दी।
इससे पूर्व कवि सम्मेलन संयोजक लायन विनोदचन्द्र व्यास, लेकसिटी लायंस चेरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमेन लायन राजीव मेहता, लायन्स क्लब लेकसिटी अध्यक्ष लायन किशन सिंह भण्डारी, क्लब के पूर्वाध्यक्ष लायन दीपक हिंगड़,प्रमोद चौधरी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रान्तपाल श्याम एस.सिंघवी तथा आकाशवाणी के संयुक्त निदेशक माणिक आर्य सहित सभी कवियों का का माल्यार्पण कर स्वागत किया।