सुविवि में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
उदयपुर। समाजशास्त्री प्रो. सी. एल. शर्मा ने कहा कि संविधान ने तो छूआछूत जैसी कुरीति को समाप्त। कर दिया है बावजूद इसके सफाईकर्मी आज भी सामाजिक तौर पर पूरी तरह घुल मिल नहीं पाए हैं। इन्हीं लोगों में सक्षम लोग अक्षम का शोषण करते है। सफाईकर्मियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की जरुरत है।
वे गुरुवार को मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के तत्वाकवधान में शहरी क्षेत्र के सफाईकर्मियों के समक्ष उभरती चुनौतियां विषयक अंतरराष्ट्रीेय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने कहा कि शहरों में सफाईकर्मियों में शिक्षा का प्रचार होने के बावजुद स्वेरोजगार का अभाव है, साथ ही सफाईकर्मियों और गैर सफार्इकर्मियों में भी समरसता की भी आवश्य्कता है क्योंकि इससे अभाव में कई बार आपसी संघर्ष की स्थिति भी बन जाती है।
विशिष्टव अतिथि अरुण चौहान ने कहा कि स्वच्छता जीवन जीने का एक तरीका है। सफाईकर्मियों की समस्याएं गांवों की बजाय शहरों में ज्या्दा दिखाई पडती है। अम्बेरडकर विकास समिति के अध्य्क्ष गोपाल कोटिया ने कहा कि आज जो शोषण सफाईकर्मियों का है उसके मूल में हमारी प्राचीन व्यवस्थाएं दोषी है। आज भी इनको हेय दृष्टि से देखा जाता है और समाज में इनके प्रति समरसता का अभाव है। उन्होंने इस प्रणाली में बदलाव की बात कही। अध्य क्षता सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. शरद श्रीवास्तव ने की। आयोजन सचिव प्रो पूरनमल यादव तथा समाजशास्त्र विभाग की अध्याक्ष प्रो मोनिका नागौरी ने सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।
तकनीकी सत्र में प्रो बलवीर सिंह की अध्यिक्षता में प्रो प्रदीप त्रिखा सहित कई वक्ताोओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में सफाईकर्मियों के सामने खडी चुनौतियों पर विचार मंथन किया। इंडियन कौंसिल आफ सोशल साइंस रिसर्च नई दिल्लीड के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीेय संगोष्ठीफ का समापन शुक्रवार को दोपहर में होगा।