प्रत्याशियों ने शुरू की तैयारियां
दोनों दलों में सेकंड लाइन है ही नहीं
उदयपुर। एक ओर जहां भाजपा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है वहीं कांग्रेस अब तक अंदरुनी झगड़ों से भी ऊपर नहीं आ पाई है। शनिवार को सांसद रघुवीर मीणा के निवास पर शहर कांग्रेस पदाधिकारियों की हुई बैठक में काफी होहल्ला हुआ।
हालांकि भाजपा की ओर से महावीर भगोरा, अर्जुनलाल मीणा, चुन्नीेलाल गरासिया आदि नाम चल रहे हैं वहीं कांग्रेस की ओर से रघुवीर मीणा का ही नाम दिखाई दे रहा है। विधानसभा चुनाव में भगोरा टिकट नहीं मिलने के बाद ऐन मौके पर कटारिया के विरोधी प्रतापगढ़ में नंदलाल मीणा के खेमे में जा मिले थे वहीं गरासिया के सक्रिय नहीं होने तथा जनाधार नहीं होने के कारण उनका नाम संभावित प्रत्याशियों की सूची में नहीं माना जा रहा है। सलूम्बर के पूर्व विधायक अर्जुनलाल मीणा ही प्रबल दावेदार हैं। हालांकि गत वर्ष जनजाति सम्मेलन में मोदी की सभा के दौरान मीणा कटारिया के साथ रहे और एक साथ कदमताल कर काम किया इसलिए संभावना कम ही है कि कटारिया मीणा का विरोध करेंगे लेकिन मीणा को वसुंधरा खेमे का भी माना जाता है।
कांग्रेस की ओर से संभावित प्रत्याशी रघुवीर मीणा ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की टोह लेने शहर कांग्रेस की अपने निवास पर शनिवार को बैठक बुलाई जहां शहर कांग्रेस के पदाधिकारियों ने सांसद पर पांच वर्ष तक उपेक्षा का आरोप लगाया वहीं विधानसभा चुनाव में शहर जिलाध्यंक्ष पर पैसे लगाने के आरोप लगाए गए। इस पर तिलमिलाई जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडि़या ने एक बार फिर खुलकर कहा कि जिसने मुझे पैसे दिए, उसका नाम तो बताएं। इस पर चुनाव संयोजक रहे वृद्ध रामचंद्र मेनारिया ने नीलिमा को बिठाने का प्रयत्न किया लेकिन वे आग बबूला हो गईं। विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी दिनेश श्रीमाली के सहयोगी बोले कि लिस्टों की एवज में चार हजार रुपए दिए। इस पर काफी आरोप-प्रत्यारोप हुए और जोरदार बहस हुई।
दोनों प्रमुख दलों के मुख्य कर्ता-धर्ताओं के बाद क्षेत्र में दोनों दलों के कोई धणी-धोरी नहीं दिखते। खुद के बाद दूसरी लाइन तैयार करने में इतना समय तो नहीं लगता लेकिन संभवतया सेकंड लाइन तैयार करना ही नहीं चाहते। पूर्व मुख्य मंत्री मोहनलाल सुखाडि़या के बाद गुलाबसिंह शक्तावत, डॉ. सी. पी. जोशी, डॉ. गिरिजा व्यास जैसे सशक्त नेता मिले लेकिन अब डॉ. सी. पी. जोशी, डॉ. व्यास के बाद दूसरी लाइन के कोई नेता ही नहीं हैं। गहलोत ने जरूर मारवाड़ से अपने पुत्र वैभव को डॉ. जोशी के साथ लगाया था लेकिन मेवाड़ में ऐसा कोई दूसरा नेता तैयार नहीं किया गया। पूर्व मुख्यहमंत्री सुखाडि़या के घर से उनके पुत्र दिलीप सुखाडि़या काफी समय तक पीसीसी में रहे लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। सुखाडि़या के पौत्र दीपक सुखाडि़या युवा हैं, लेकिन पार्टी की ओर से जिम्मेदारी विहीन हैं। डॉ. व्यास तैयार ने अपने भाई गोपजी को आगे किया है लेकिन उनके पास दूसरी लाइन के नेता बनने जैसा जनाधार नहीं। कांग्रेस के नाम से अपना मीडिया सेंटर चलाने वालों का जनाधार है लेकिन सभी को खुश रखकर अपना नाम पाने की महत्वांकांक्षा के कारण उनके नाम पर इतना अंतरविरोध हो जाता है कि वे कहीं नहीं टिक पाते।
भाजपा में इस बार कटारिया के विश्वस्त प्रमोद सामर को लोकसभा चुनाव प्रभारी बना दिया गया और गत दिनों उदयपुर आई वसुंधरा स्प्ष्टव कर गईं कि लोकसभा चुनाव प्रभारियों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इससे सामर का टिकट वैसे ही कट गया। कुंतीलाल जैन, पारस सिंघवी जैसे कुछ नेता सेकंड लाइन में गिने जा सकते हैं लेकिन दूसरी लाइन में ही खडे़ हैं। अब तक आगे नहीं आए हैं। क्या इनके बाद मेवाड़ का नाम लेने वाला कोई रहेगा या नहीं, इस पर विचार आवश्यक है।