जगत मेहता को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
उदयपुर। सेवा मन्दिर, विद्याभवन विद्या बंधु संध, विद्याभवन सोसाइटी, साधना, डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, झील संरक्षण समिति के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 10 मार्च 2014 को विद्याभवन सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रांगण में सायं चार बजे प्रो. जगत एस. मेहता की स्मृति में सार्वजनिक श्रद्वान्जलि सभा का आयोजन हुआ।
विद्या भवन सोसायटी के अध्यजक्ष रियाज तहसीन ने मेहता को विश्व कूटनीतिज्ञ, मेवाड़ का इतिहासकार बताते हुए कहा कि जगत मेहता पर्यावरण प्रेमी थे, उनकी उसी प्रेम का परिणाम विद्याभवन की 400 एकड़ जमीन पर स्वयं के आर्थिक खर्च पर प्रकृति साधना केन्द्र को प्रतिस्थापित किया जहां आज विभिन्न स्कूलों से बच्चे आते हैं, और पर्यावरण के बारे में अनुभव बांटते हैं। रियाज ने कहा कि प्रायः लोग झोपड़ी से महलों की ओर जाते है, लेकिन जगत सा. महलों से गांवों की ओर गए।
डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्टी के अध्याक्ष विजय सिंह मेहता ने कहा कि स्वैच्छिकता एवं नागरिकता को आगे बढ़ाने की हमेशा प्रेरणा दी। मोहनसिंह मेहता ट्रस्ट आज उसी की देन है, जहॉ विभिन्न विचारों के लोग एक साथ बैठकर अपने विजन का निर्धारण कर सकते हैं। सेवा मन्दिर की मुख्यन संचालक प्रियंका सिंह ने कहा कि सभी गुणों से सम्पन्न, सामाजिक एवं आर्थिक मान प्रतिष्ठा से परिपूर्ण व्यक्ति होने के बाद व्यक्ति स्वयं को समेट लेता है, लेकिन जगत मेहता ने ऐसा कभी नहीं किया। उन्होंने लोगों के विचारों को फैलाया, कार्यकर्ताओं की ताकत बने। यही वजह है कि आज सेवा मन्दिर के कार्यो की देश-विदेश में पहचान बनी है। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि इग्लैण्ड में भी फ्रैण्ड्स ऑफ सेवा मन्दिर बनाया। उनके इन्हीं अटूट प्रयासों की देन है कि सेवा मन्दिर अपने मूल्यों पर ताकत के साथ पिछले लगभग 45 वर्षो से कार्यरत है। सेवा मन्दिर में देश-विदेश के वालिण्टयर्स को जोड़ने में उनकी महती भूमिका रही। उन्होंने सेवा मन्दिर में व्यवहार और काम दोनों को जोड़ा।
साधना संस्था की मंजुला ने कहा कि वे साधना के माध्यम से जो महिलाएं वस्त्रों का निर्माण कर रही हैं, उन वस्त्रों को पहनने में मेहता गर्व महसूस करते थे। विद्या भवन ओल्ड ब्वॉियज एसोसिएशन की उपाध्यक्ष पुष्पा शर्मा ने पुरानी स्मृतियों को बांटते हुए बताया कि उन्होंने विद्याभवन के वर्क कल्चर को सुधारा। विद्याभवन को जगत सिंह ने चुनौतीपूर्ण संक्रमण काल में संभाला था। विद्याभवन के पूर्व छात्रों के प्रति उनमें बहुत स्नेह था तथा वे उनसे उम्मीद करते थे कि वे नागरिक जिम्मेदारी निभायें।
झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ. तेज राजदान ने कहा कि जगत मेहता ने उदयपुर की झीलों व पर्यावरण को सुधारने व संरक्षित करने के लिए पूरी उम्र काम किया। वर्ष 1971 के बाद से लगातार झीलों के लिए सक्रिय रहे। उन्हीं के प्रयासों से उदयपुर में झील संरक्षण के 125 करोड़ रुपए आए। सजीव सेवा समिति के शान्तिलाल भण्डारी ने कहा के पर्यावरण सुधार के लिए गांवों में पौधरोपण एवं जंगल बचाने की दिशा में जगत मेहता का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
सुविवि के डॉ. संजय लोढ़ा ने कहा कि वे कोशिश करेंगे कि विश्वविद्यालय में विदेश नीति पर उनके विचार व कार्यों पर शोध हो एवं एक पीठ की स्थापना हो। सीटीएई के पूर्व डीन डॉ आर. सी. पुरोहित ने कहा कि जगत मेहता ने मिट्टी, जल, झीलों एवं आयड़ नदी के संरक्षण के लिए जो प्रेरणादायी कार्य किये, उन्हें वे आगे बढ़ाएंगे। तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि वे एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व थे तथा झीलों को बचाने में आम जनता को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करते रहे।
सिक्योर मीटर के उपाध्यक्ष भगवत बाबेल ने कहा कि विचार रूपी उनका वंश निरन्तर चलता रहेगा। वयोवृद्व कन्हैयालाल बापना ने जगत मेहता के बचपन की यादों को ताजा किया। हेमराज भाटी ने कहा कि वे न सिर्फ मार्गदर्शन करते थे वरन सहभागी रहकर उत्साह बढ़ाते थे। दीपक जोशी एवं गोपाल बम्ब ने कहा कि नगर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए निरन्तर कार्य करते रहेंगे। शिक्षाविद डॉ. एम. पी. शर्मा ने कहा कि देश में शिक्षक प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए जीवन भर महती भूमिका निभाई। इसके अलावा गिरीश त्रिवेदी, योगेश दशोरा सहित उपस्थिति लोगों ने उनकी स्मृति में पेड़ लगाने, आदिवासी अंचल में शिक्षा का प्रसार करने, समग्र विकास को स्थापित करने जैसे संकल्प किए। नागरिक स्मृति सभा में शहर के प्रबुद्व जन, स्वयं सेवी एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधिर्, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रशासनिक अधिकारियों सहित मेहता के परिवार के सदस्य मौजूद थे। नागरिक स्मृति सभा में राम आटले द्वारा भजन प्रस्तुत किये गये व स्वर्गीय जगत मेहता को शहर के नागरिकों की तरफ से दो मिनट का मौन रखा गया तथा उनके छाया चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। सभा का संयोजन नंदकिशोर शर्मा ने किया।