अष्ठ दिवसीय मीठे प्रवचन की श्रृंखला टाऊन हॉल में प्रारम्भ
जीवन वरदान बने अभिशाप नहीं: आचार्य शान्तिसागर
उदयपुर। राष्ट्रसन्त, मीठे प्रवचनकार, शान्तिकारी संत आचार्य शान्तिसागर (णमोकार वाले बाबा) के अष्टब दिवसीय मीठे प्रवचन की श्रृंखला नगर निगम के टाउनहॉल प्रांगण में रविवार से शुरू हुई। पहले ही दिन सैंकड़ों श्रावक शान्ति के सागर में डूब गए और आधा घंटा से भी ज्यादा समय तक बही मीठे प्रवचनों मीठी धारा का रसास्वादन किया।
प्रवचन के दौरान आचार्य शान्तिसागर ने कहा कि जीवन वरदान होना चाहिये, अभिशाप नहीं। आज की दुनिया में मनुष्य के विचारों में भारी प्रदूषण फैल चुका है। हर व्यक्ति स्वयं का हित चाहता है, चाहे इसमें दूसरों का बुरा ही क्यों न हो रहा हो। उन्होंने कहा कि बुरा विचार उस कोयले की तरह होता है जो जलता हुआ होता है तो हाथ जला देता है और बुझा होता है तो हाथ काले कर देता है। आचार्यश्री ने कहा कि सन्त के प्रवचन सूर्य के प्रकाश के समान होते हैं जो प्रकाश सभी को देता है। अगर कोई अंधेरे में ही रहना चाहे तो इसमें सूर्य का दोष नहीं है।
सांस्कृतिक पतन रोकने की जरूरत : आचार्य ने भारतीय संस्कृति के हो रहे लगातार पतन पर चिन्ता जाहिर करते हुए मीठे प्रवचनों में कहा कि आज का दौर सांस्कृतिक पतन का दौर है। यह गांवों की अपेक्षा शहरों में ज्यादा देखने को मिलता है। अगर किसी के द्वार के बाहर गाय बंधी मिले तो समझना कि हम गांव में है और किसी घर के द्वार के बाहर कुत्ता बन्धा मिले तो समझना कि हम शहर में हैं। आचार्यश्री ने कहा कि एक सयम था जब लोग घर के द्वार के बाहर किसी इंसान को बैठाता थे ताकि कोई कुत्ता घर में न घुस जाए लेकिन आज कैसी विडम्बना देखने को मिलती है कुत्ते को घर के द्वार के बाहर बान्धा जाता है वो इसलिए कि कोई इन्सान घर में न घुस जाए। यह सांस्कृतिक पतन नहीं तो और क्या है। आज कल तो सांपों ने भी इन्सानों को डसना छोड़ दिया है क्योंकि वह जानते हैं हमारी जरूरत ही नहीं है क्योंकि स्वयं इन्सान ही इन्सान को डस रहा है। उन्होंने कहा कि तनाव के चलते आज मनुष्य के चेहरे से हंसी ही गायब हो गई है जबकि प्राणी मात्र में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो हंस सकता है।
आचार्य ने मीठे प्रवचन के बारे में कहा कि लोग कहते हैं कि मीठा खाने से तो शूगर की बीमारी बढ़ती है, लेकिन आचार्यश्री ने कहा कि उनके मीठे प्रवचनों में वो ताकत है जो शूगर की बीमारी को भी खत्म कर देते हैं। प्रवचन से पूर्व दिगम्बर समाज की ओर से हुमड़ भवन से सुबह 7.30 बजे आचार्यश्री की गाजे-बाजे के साथ शोभा निकली जिसमें समाज के कई श्रद्धालुओं के साथ विभिन्न स्कूलों के बच्चे भी शामिल हुए जिन्होंने हाथों में जल ही जीवन है तथा बेटी बचाओं जैसे नारे लिखी हुई तख्तियां ले रखी थी। शोभा यात्रा हुमड़ भवन से विभिन्न मार्गों से होती हुई नगर निगम प्रांगण पहुंची।
प्रांगण में सबसे पहले आचार्य के सान्निध्य में धर्म ध्वजारोहण हुआ जिसके पुण्यार्जक महावीरजी- कनकजी नागदा थे। उसके पश्चात पाण्डाल उद्घाटन, मंच पर दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, शास्त्र गुरु पूजा, मंगल कलश स्थापना आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिनके पुण्यार्जक चन्दनलाल छाप्या, सेठ शान्तिलाल नागदा, जनकराज सोनी, सुमतिलाल दुदावत, सुनील कुमार, ग्यारसीलाल सीपरिया, नाथूलाल खलूडिय़ा, मांगीलाल- विनय कुमार चित्तौड़ा तथा राजेश नवाडिय़ा, बसन्तीलाल थाया, मांगीलाल कावडिय़ा, कनकमल महावीर नागदा आदि शामिल थे। मीठे प्रवचन के पहले दिन सभा के मुख्य अतिथि ग्रामीण एवं पंचायती राज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया एवं महापौर रजनी डांगी थे। आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन का पुण्यार्जन खूबीलाल अगवासिया परिवार ने किया जिसमें ग्रामीण एवं पंचायतीराज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया भी शामिल हुए। प्रवचन से पूर्व बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जिसमें देशभक्ति के गीतों के साथ ही धार्मिक भजनों की प्रस्तुतियां भी आकर्षक का केन्द्र रहीं।