एहि कलि काल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप व्रत पूजा।।
रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुमिन राम गुन ग्रामहि।।
चित्तौड़गढ़। मुरारी बापू ने कहा कि जिस प्रकार राधा श्रीकृष्णन की आल्हादिनी शक्ति है ठीक उसी प्रकार मीरा श्रीकृष्णद की आल्हादिनी भक्ति है। मीरा श्रीकृष्णे की भक्ति का पर्याय है।
मीरा का सत्य, मीरा का प्रेम, मीरा की करूणा। उन्होंने सोमवार को मीरा की नगरी चित्तौड़ स्थित चित्रकूट धाम इंदिरा गांधी स्टेडियम में संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा के प्रथम दिन जन समुदाय को व्यास पीठ से अपने भाव प्रकट किये।
शक्ति एवं भक्ति की धरा पर आनंद के नौ दिन के तहत मुरारी बापू रामकथा के प्रथम दिन ठीक चार बजे चित्रकूट धाम पहुंचे। व्यासपीठ पर पहुंचकर उन्होंने पोथी, अपने गुरु को नमन किया। राष्ट्रि भक्ति एवं कृष्णप भक्ति मीरा की धरती पर व्यासपीठ से सभी को प्रणाम करते हुए उन्होने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि पावन स्थली, वीरों एवं धीरों की धरती पर कथा करने का मौका मिला है।
रामकथा – मानस मीरा भाग एक
मुरारी बापू प्रत्येक कथा में एक विषय को उठाते है। इस कथा का नाम उन्होंने मानस मीरा भाग एक दिया है। बापू का कहना है कि वे मीरा पर कुछ कहना चाहते थे। चित्तौड़गढ़ में मीरा ने विषपान किया व मेडता में अमृतपान किया। अतः चित्तौड़गढ़ की कथा को मानस मीरा भाग एक नाम दिया गया है। मीरा कृष्णम भक्ति का पर्याय है और एकतारा व मंजीरे के साथ प्रेम लक्षण का प्रतीक देती है।
बापू ने कहा कि मीरा के बारें में कथा करने का सौभाग्य मिला है। यह राम कथा आध्यात्मिक एवं रामकथा का प्रेम यज्ञ है। उन्होंने कहा कि हम जितना भगवान श्रीकृष्ण को देखते हैं, वह उससे कई गुना है। राधा प्रेम दीवानी है, लेकिन मीरा दर्द दीवानी है। मीरा भक्ति है, इसलिए हमारे निकट पडे़गी और श्रीकृष्णक का पर्याय रूप है। भक्ति का दम्भ करने के लिए भी हमें थोडा़ तो विश्वाडस करना ही पडेगा। मुरारी बापू ने अपने अंदाज में कहा कि यहां हो रही कथा का शीर्षक मानस मीरा भाग एक है। जब ठाकुरजी कृपा करेंगे तब मानस मीरा भाग दो मीरा की जन्मस्थली मेडता में की जाएगी।
रामजन्म एवं रामचरित मानस का प्राकट्य रामनवमी के दिन
राम का प्राकट्य राम जन्म एवं राम चरित मानस का प्राकटय भी रामनवमी के दिन ही हुआ है। राम नवमी के दिन ही रामचरित मानस का प्राकट्य हुआ है। राम कथायें आपातकाल में भी होती रही है। बापू ने बताया कि रामचरित मानस में बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड हैं और सातों सोपान अपनी विशेषता रखते हैं। रामचरितमानस में एक एक शब्द परम विशेषता रखता है। मुरारी बापू ने कहा कि रामकथा सात प्रकार के बल प्रदान करती है। रामकथा से व्यक्ति में दैहिक, दृष्टि, दिल, दिमाग, दैव्य तथा दिव्य बल आता है। गुरू महिमा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि गुरू मार्ग होता है और व्यक्ति उसके माध्यम से पार प्राप्त कर सकता है।
राममय हो गई मीरा की नगरी
रामकथा के पहले ही दिन चित्रकूट धाम (इंदिरा गांधी स्टेडियम) में हजारों की तादाद में श्रद्धालु उमडे़। चित्तौड़ नगर में चहुंओर भक्तों की भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की आवक इतनी है कि शहर की सभी होटले फुल हो गई है। पूरी चित्तौड़ नगरी मुरारी बापू व रामकथा के पोस्टर व होर्डिंग्स नजर आ रहे है। कथास्थल के पास भोजन की भी व्यवस्था की गई है। यहां डेढ़ लाख स्क्वायर फीट में भोजनशाला बनाई गई है जहां पर संस्थान की ओर से निशुल्क भोजन प्रसाद कराया जा रहा है। पहले दिन कथा विराम पर आयोजित आरती में जिला कलक्टर वेद प्रकाश, पुलिस अधीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा आदि ने भी भाग लिया। रामकथा के पहले ही दिन मुरारी बापू ने रामचरित मानस के निचोड़ को प्रस्तुत कर दिया।