मुरारी बापू की रामकथा के छठे दिन गूंजे बधाई गान
चित्तौड़गढ़। प्रभु राम जन्म के प्रसंग में अलौकिक मीरा की नगरी चित्तौड़ में मुरारी बापू की रामकथा के छठें दिन शनिवार को चहुंओर बधाई गान गूंज रहे थे। चित्रकूट धाम के पाण्डाल में जब मुरारी बापू ने प्रभु राम के जन्म की घोषणा की तो हजारों की संख्या में मौजूद श्रोताओं ने एक साथ हाथ खड़े कर दीदार किया औंर बधाईयां गाई। करतल ध्वनि और बैण्ड बाजों की सुमधुर आवाज के बीच प्रभु जन्म की खुशियां मनाई गई।
राम कथा के छठे दिन व्यासपीठ से मानस मीरा को आगे बढ़ाते हुए मुरारी बापू ने कहा कि मीरा एक अवस्था है और रहस्यों से भरी भक्ति का आठवां अवतार है। घर में मीरा जैसी बेटी जन्मे तो आनंद मनाना चाहिए। हम मीरा को तभी समझ सकते हैं जब कृष्णर हमें कुछ पल के लिए मीरा बना दे।
बापू ने कहा कि मीरा ने वंश व्यवहार के कारण मेड़ता छोड़ी और विवेक के कारण चित्तौड़ छोड़ और वृंदावन चली गई। मीरा धर्म के नाम संघर्ष व स्पर्द्धा के चलते विचारों के कारण वृंदावन को भी छोड़ कर द्वारिका चली आई और वहां भी मीरा अपने विश्वा स के कारण द्वारिका को छोड़कर रणछोड़ में लीन हो गई।
अनुमान से हनुमान तक यात्रा : जिसके रहने से हमारी भ्रांतियां खत्म हो जाए वह सद्गुरू है। शिष्यन के पास शॉल तो गुरु के पास मशाल, शिष्य के पास बाण तो गुरु के पास वाणी, शिष्यन के पास मान तो गुरू के पास गान, शिष्यग के पास ताल तो गुरु के पास ताली, शिष्यस के पास काल तो गुरू के पास काली, शिष्य के पास आषा तो गुरू के पास अश्रु, शिष्यल के पास अनुमान तो गुरू के पास हनुमान (विश्वास) होता है। षास्त्रों में अनुमान को भी प्रमाण माना जाता है क्योंकि जगत है तो जगदीश अवश्यक होगा। समस्याओं के सवाल का जवाब गुरु द्वार पर ही मिलता है।
विश्वा स ही विशेष श्वायस है : हरिनाम एक महान औषधि है और बुद्ध पुरूश हमारी औषधि है। भगवान सभी को आचार संहिता लगाए लेकिन विचार संहिता ना लगाए। तामसिक वृत्ति साधना नहीं करने देती। बापू ने कहा कि साधु संवेदना शून्य नहीं होता। साधु का कभी भी अपमान नही करना चाहिए। भौतिकता से अब लोग ऊब चुके है, कुछ सीमा तक अति हो गई है और मिला कुछ नहीं है। युवा भ्रमित ना हो जाए इसलिए रामकथा में विशेष बातें की जाती है। यह कलियुग नहीं कथा का युग है। कथा श्रवण को आने वाले हजारों श्रोता प्रतिदिन प्रभु प्रसाद का आनंद उठा रहे हैं।
संगम हो रहा है संस्कृतियों का : मुरारी बापू की रामकथा में राजस्थान सहित गुजरात, महाराश्ट्र, मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य षहरों, हिस्सों से आये श्रद्धालु यहां आनंद रस लूट रहे है। जिले के देहात से आता जन सैलाब भी कथा सागर में समाकर संस्कृतियों का मेल करा रहा है। कही ठेट देहात की बोली कानों मे गूंज रही है तो कही गुजराती, मराठी व मेवाती प्रभु प्रसंगों की चर्चा का जरिया बनी हुई है।