महावीर जैन परिषद के महावीर जयंती पर नौ दिवसीय समारोह
उदयपुर। नई दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ में जैन संकाय के आठ विभागों के अधिष्ठाता प्रो. वीर सागर ने कहा कि आज रामनवमी पर हम भगवान महावीर जयंती मना रहे हैं। महावीर ने कहा है कि वर्तमान में जीएं। वर्तमान में जीने वाला सदा प्रसन्न रहेगा। आज के युग में मानव 99 प्रतिशत भूत और भविष्य में जीता है और सिर्फ एक प्रतिशत अपने वर्तमान को देता है। अगर वर्तमान में जीने का संकल्प करेंगे तो वद्र्धमान की तरह मुस्कराएंगे।
वे श्रमण भगवान महावीर स्वामी के 2613 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के तहत महावीर जैन परिषद के बैनर तले हो रहे नौ दिवसीय कार्यक्रमों की शृंखला में चौथे दिन मंगलवार को अशोकनगर स्थित विज्ञान समिति सभागार में वर्तमान संदर्भ में भगवान महावीर के सिद्धांत विषयक आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि घर में रहें लेकिन घर आपमें नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार आप दुकान में रहें लेकिन दुकान आपमें नहीं रहनी चाहिए। अनासक्त होकर रहना चाहिए। यही शांति का मूल है। पुरातन यानी वैशाली के प्रजातंत्र के सिस्टम को देखें तो उस समय 7000 लोगों की पार्लियामेंट वहां होती थी। अगर वैशाली के गणतंत्र के इतिहास को देखकर बनाएं तो हमारा देश आज भी समृद्ध हो सकता है। समानता का धर्म है, स्वतंत्रता का धर्म है। आज हर कोई कार पर सवार है सिवाय एक के? किसी के पास कार नहीं है तो भी वह कार पर तो है ही. . .। यानी अहंकार और ममकार पर सवारी करना हर किसी को अच्छा लगता है लेकिन णमोकार पर कोई सवारी नहीं करना चाहता।
भगवान महावीर के सिद्धांतों में प्रमुखत: चार बातें उभरकर आती हैं। आचार में अहिंसा, विचार में अनेकांत, वाणी में स्यादवाद और जीवन में अपरिग्रह। जो मनुष्य इन चारों बातों को मान लेता है, जीवन में उसका चहुंमुखी ही नहीं बल्कि सर्वतोमुखी विकास होता है। उन्होंने कहा कि 1. आज सर्वाधिक आवश्यकता अहिंसा की है। चहुंओर हिंसा ही हिंसा फैल गई है। शांति की मिसाइल बनाकर ही यह मेघधारा का काम कर सकती है। इसकी कितनी आवश्यकता है, इसका पता इससे लगता है कि संयुक्त राष्ट्र्र ने भी 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस घोषित किया है। 2. अपने विचार रखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यही अनेकांत है। लड़ाई किसी समस्या का समाधान नहीं है। हथियारों से किसी को हरा तो सकते हैं लेकिन उसे जीता नहीं जा सकता। अगर किसी को जीतना है तो शांतिपूर्वक संवाद ही उसका एकमात्र रास्ता है। 3. पहले हर घर के बाहर तोते पालते थे। तोते की लाल चोंच यानी मीठी वाणी और तोते का हरा शरीर उस मीठी वाणी के बोलने से बनने वाला हरा भरा संसार। अगर मीठी वाणी बोलोगे तो सारा घर हरा भरा रहेगा। जबान को संभालो, यही स्यादवाद है। 4. आने वाला समय भौतिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण है। अपरिग्रह का पूर्ण पालन करना चाहिए। आज इसके उलट मनुष्य जितना परिग्रह कर सकता है, उतना कर रहा है। इसके फलितार्थ यह हो रहे हैं कि वह उतना ही कमजोर होता जा रहा है। साधन बढ़ाने से कुछ नहीं होता लेकिन साधना चली जाती है। आचार व्यवस्था की उपेक्षा करेंगे तो घर खाली हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर तो बहुत पहले ही कह गए थे कि पानी छानकर पीयो, रात्रि भोजन निषेध रखो। इसका सब उलट किया तो परिणाम आज भुगत रहे हैं। हर घर में बीमारियों ने अपना घर कर लिया है। कोई डायबिटीज तो कोई हर्ट, किडनी, कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित है। राग-द्वेष को जीतना ही वीर है। असली वीर बनना है तो कषाय छोड़ें। अपने विवादों को जीतना ही वीरता है।
अध्यक्षता करते हुए सुखलाल परमार ने कहा कि महावीर के विचारों को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। यहां सिर्फ सुनना ही काफी नहीं बल्कि न सिर्फ उसे अपने जीवन के आचरण में लाना बल्कि आगे तक पहुंचाना भी हमारा मकसद होना चाहिए। जैन शास्त्रों में इतने आगम हैं और भले ही हर घर में पड़े होंगे लेकिन उनका स्वाध्याय करने का समय नहीं मिल पाता। स्वाध्याय बहुत जरूरी है। विशिष्ट अतिथि नाकोड़ा ज्योतिष कार्यालय के संस्थापक कांतिलाल जैन, रेखा सकलेचा थे। मुख्य अतिथि प्रो. सागर का परिचय पारसमल अग्रवाल ने दिया।
परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत ने शब्दों की स्वागत माला से अतिथियों व आगंतुकों का स्वागत करते हुए बताया कि गत 40 वर्षों से परिषद महावीर जयंती समग्र रूप से मना रही है। यह पहली बार है कि इसके तहत 9 दिवसीय आयोजन हो रहे हैं। गत वर्ष महावीर जयंती की शोभायात्रा में 30 हजार श्रावक-श्राविकाओं ने सम्मिलित होकर रिकॉर्ड बनाया था, इस बार इस रिकॉर्ड के भी टूटने की अपेक्षा है।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथि स्वागत की रस्म में प्रो. वीर सागर को यशवंत आंचलिया व गणेशलाल मेहता ने, परमार को वीरचंद मेहता एवं केएल कोठारी ने, रेखा सकलेचा को विजयलक्ष्मी गलुण्डिया व आशा कोठारी ने तथा कांतिलाल जैन को प्रेमसुमन जैन एवं एन. एल. कच्छारा ने मेवाड़ी पगड़ी, माल्यार्पण, उपरणा एवं स्मृति चिह्न भेंट किए। मंगलाचरण शशि चह्वाण, सोनल सिंघवी, सीमा कच्छारा, ऋतु मारू, नयना दोशी ने किया। संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. सुभाष कोठारी ने किया। आभार परिषद के कोषाध्यक्ष कुलदीप नाहर ने व्यक्त किया।
विश्वशांति महाआरती : महावीर जैन परिषद महिला शाखा की ओर से 9 अप्रैल को सायं 6.30 बजे फतहसागर की पाल, नाले वाले छोर पर संगीतमय नमस्कार महामंत्र का सामूहिक जाप एवं 1008 दीपकों से विश्वशांति महाआरती का आयोजन होगा।