केन्द्रीय जेल में कैदियों को कराए अणुव्रत के संकल्प
उत्तरांचल अणुव्रत संकल्प यात्रा
उदयपुर। शरीर व मन की शक्ति को समझें। शरीर मैला होने पर हम नहा लेते हैं। गर्मी में जरूरत पडऩे पर दिन में दो तीन बार नहाते हैं लेकिन कुसंगति के कारण, मलीन कार्य करने के कारण हमारा मन मैला होने के बावजूद एक बार भी उसे साफ करने के लिए कभी प्रयास नहीं करते। इससे आत्मा की चादर गंदी होती है।
ये विचार समणी निर्मल प्रज्ञा ने व्यक्त किए। वे उत्तरांचल अणुव्रत संकल्प यात्रा के उदयपुर आगमन पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान रविवार को केन्द्रीय जेल में आयोजित समारोह में कैदियों को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि यहां आने का आपको किसी ने निमंत्रण थोड़े ही दिया था। आज यहां किसी कारण आ गए हैं लेकिन अब संकल्प करें कि जब यहां से निकलेंगे तो वापस कभी नहीं आएंगे। इसके लिए तीन चीजें जरूरी हैं। मन की शुद्धि का प्रयास करें। मस्तिष्क शुद्ध होगा तो नकारात्मक विचार नहीं आएंगे। किसी कारण से मन मैला हो भी गया था तो गलती के बाद संकल्प करें कि अब मैं यह कार्य नहीं करुंगा जो प्रमादवश कर लिया था। दूसरी बात वचन शुद्धि का प्रयास करें। कटू शब्द नहीं कहूंगा, गाली नहीं दूंगा। अपशब्द नहीं बोलने का संकल्प करें। तीसरी और जरूरी बात काया की शुद्धि करें। सिर्फ अकरणीय कार्य नहीं करने के लिए भगवान ने शरीर नहीं दिया बल्कि करणीय कार्य भी हमेें करना चाहिए। अगर सेवा करने के लिए हाथ दिए हैं तो किसी की सेवा भी करनी चाहिए। भगवान महावीर ने कहा है कि मानव ही मानव को काटने का प्रयास करता है जबकि पृथ्वी पर छोटे से छोटे जीव चींटी तक को भी जीने का अधिकार है। अहिंसा का उपदेश इसलिए दिया गया है कि छोटे से छोटे जीव की भी रक्षा करो।
जीवन में समस्या, कष्ट, विघ्न आते हैं लेकिन सुख के लिए अनेकांत का सिद्धांत है। उसे अपनाना पड़ेगा। समस्या का समाधान करें। आवेश पर नियंत्रण रखें। अब भी बचे हुए जीवन को सुधारें। आप यहां दूसरे परिवार में बैठे हैं। आपका एक परिवार घर इंतजार कर रहा है। अब कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे दूसरों को तकलीफ हो। नशे से मुक्ति पाएं। सबसे बड़ी जड़ तो यही है। शराब सेवन से कलह बढ़ेगा। धार्मिक आस्था मिटेगी। कार्यक्रम की सफलता इसी में है कि जीवन में दूसरी बार कभी गलती नहीं करेंगे। किसी प्रकार का नशा नहीं करेंगे, चोरी नहीं करेंगे, अपशब्द नहीं कहेंगे और बुरा कार्य नहीं करेंगे। इसके बाद समणी निर्मल प्रज्ञा ने कैदियों से कुछ प्रयोग भी करवाए जिसमें अपने सिर के केन्द्र पर हाथ रख आंखें बंद कर श्वेत रंग की परिकल्पना करवाई। समणी प्रवण प्रज्ञा ने मंगलाचरण में णमोकार महामंत्र सुनाया। फिर सुंदर गीतिका जीवन की कहानी सुंदर हो. . कुछ ऐसे काम करो बंधुवरों. . . की प्रस्तुति देकर कैदियों को भाव विह्वल कर दिया।
मुख्य अतिथि जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने कहा कि बड़े ही हर्ष का विषय है कि आज संत-साध्वीजन जेल में कैदियों को सही राह दिखाने आए हैं। ये कड़ी धूप में पैदल चलकर देश भर में विहार करते हैं। यहां आए हैं सिर्फ आपको राह दिखाने के लिए ताकि एक बार यहां आ गए लेकिन अगली बार नहीं आने का संकल्प करें।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि देश भर में चारों दिशाओं से यह रथ चल रहे हैं जो जगह-जगह अणुव्रत का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। यात्रा के साथ आई समणी निर्मल प्रज्ञा एवं प्रणव प्रज्ञा ने कैदियों के समक्ष जाने की इच्छा जताई। आचार्य तुलसी ने अपने अणुव्रत के माध्यम से यह संदेश दिया है कि किस तरह छोटे छोटे संकल्पों के माध्यम से हम अपने जीवन को न सिर्फ सुधार सकते हैं बल्कि पूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
हास्य कवि डाडम चंद डाड़म ने नशे के दुष्प्रभाव बताती छोटी छोटी कविताएं प्रस्तुत कर कैदियों का मनोरंजन किया। जेल अधीक्षक त्रिवेदी का उपरणा ओढ़ा साहित्य भेंट कर गणेश डागलिया एवं ओमप्रकाश खोखावत ने स्वागत किया वहीं डाडमचंद डाड़म का दीपक सिंघवी एवं राजेन्द्र सेन ने उपरणा ओढ़ा साहित्य भेंटकर सम्मान किया।
तेरापंथी सभा के शांतिलाल हिरण, अर्जुन डांगी एवं जमनालाल दशोरा ने जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी को अणुव्रत पट्ट भेंट किया। संचालन तेरापंथ युवक परिषद के उपाध्यक्ष दीपक सिंघवी ने किया। इससे पूर्व अणुव्रत समिति के अध्यक्ष गणेश डागलिया ने शब्दों से अतिथियों का स्वागत किया। कार्यकारी महामंत्री राजेन्द्र सेन ने आभार की रस्म अदा की।