कोई सा काम हो या विचार, एकाध फीसदी को छोडक़र हम सभी लोगों की आम धारणा बन चली है कि कल करेंगे या कल से शुरू करेंगे। हर रोज हम आने वाले कल के बारे में सोचते हैं लेकिन वह कल कभी नहीं आ पाता। आज का वर्तमान कल जरूर बन जाता है।
अपनी कल्पनाओं, विचारों और कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए हम आज का समय टालने के लिए कल का सहारा लेते हैं और ऐसे में आने वाला कल कभी नहीं आता, वह हमेशा कल ही कल पर टलता चला जाता है। यही कारण है कि हमारे सोचे हुए काम महीनों और सालों तक के लिए टलते रहते हैं और कई सारे काम हमारी मृत्यु आ जाने तक भी नहीं हो पाते हैं।
काल अपने आप में सबसे बड़ा और महान शक्तिशाली होता है जिसके आगे किसी का बस नहीं चलता। यह न कभी रुक सकता है, न रोका जा सकता है। इसी काल के साथ विध्वंस और सृजन का इतिहास क्रम हमेशा चलता रहता है। इसी जीवंतता और नित्य परिवर्तन का पैगाम यह काल अपने आविर्भाव काल से देता आ रहा है मगर हम हमेशा उस बात को अनसुनी करने के आदी हो गए हैं जो हमें रुचिकर नहीं लगती।
यही स्थिति समय के बारे में है। समय न अपना होता है न किसी और का। यह पंच तत्वों का संसार और माया, सब कुछ समय का फेर ही है। कभी समय अच्छा होता है, कभी बुरा, कभी न अच्छा-न बुरा, सिर्फ उदासीन या तटस्थ। प्रमाद या आलस्य अथवा अहंकार या मद में जो लोग समय को अपनी मुट्ठी में कैद मानकर उसकी उपेक्षा या उपहास कर देते हैं, फिर समय भी इन लोगों को उपहास का पात्र बनाकर उपेक्षा अवस्था भरे गुमनामी के अंधेरे कोने में धकिया देता है। फिर ये लोग किसी काम के नहीं रह जाते, सिर्फ कूढ़ते ही रहते हैं।
इन लोगों को मरते दम तक यही मलाल रहता है कि समय पर वे उन कामों को नहीं कर पाए, जो करने चाहिए थे। दुनिया उन लोगों के इतिहास से भरी पड़ी है जो समय को पहचान नहीं पाए, और पहचान पाने के बावजूद अपने पद-मद और कद में इतने डूबे रहे कि इन्हें पता ही नहीं चल पाया कि कब उनका अपना समय उनके हाथ से फिसल गया और वे कोरे के कोरे ही रह गए, बिना कुछ उपलिध या यश पाए।
इनमें भी कितने सारे ऐसे मिल जाते हैं जो समय निकल जाने के बाद पछतावा करते हैं कि जो समय उन्हें अच्छे कामों के लिए मिला था, उसमें वे भोग-विलास और व्यभिचारों में इतने डूबे रहे कि कोई सा अच्छा काम नहीं कर पाए, और जब समय सरक गया तो उनके साथ बददुआओं और गालियों का जखीरा ही पल्ले पड़ा रहा, जिसका बोझ ये लोग अपने तेरहवें तक और उसके बाद भूतयोनि में चल जाने पर भी महसूस करते रहते हैंं योंकि ऐसे लोगों की गति-मुक्ति का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता जो लोग अपने को मिले हुए समय का दुरुपयोग करते हुए जमाने भर पर अत्याचार ढाते हैं, शोषण और अन्याय करते हैं, भ्रष्टाचार और बेईमानी को बढ़ावा देते हैं तथा ऐसे-ऐसे श्वानों, सांपों और लोमड़ों को पालते हैं जो भक्ष्य-अभक्ष्य कुछ भी खाने के लिए टूट पड़ते हैं और हराम की कमाई पर मौज उड़ाते हैं जैसे कि सारी दुनिया इन्हीं को पालने के लिए पैदा हुई है।
इसलिए आज के कामों को कल पर न टालें, जो समय आज आपका अपना है वह कल अपना नहीं रहने वाला है, इसका भरपूर सदुपयोग करें और आज के कामों को कल के भरोसे न छोड़ें। जो काम कल के भरोसे छोड़े जाते हैं उन्हें काल बड़े ही आदर के साथ खा जाता है। अपनी जिंदगी का असली मतलब समझें और जो करना है उसकी शुरूआत आज ही करें वरना कल किसने देखा। जो इंसान कल पर टालता है वह निकम्मा और प्रमादी है, उसका अपने आप पर भी भरोसा नहीं होता।
– डॉ. दीपक आचार्य