महापौर रजनी डांगी ने की घोषणा
उदयपुर स्थापना दिवस पर बैठक
उदयपुर। उदयपुर स्थापना दिवस पर होने वाले चार दिवसीय कार्यक्रमों को लेकर चर्चा के लिए नगर निगम सभागार में हुई बैठक में महापौर रजनी डांगी ने उदयपुर की ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करने हेतु फतहसागर की पाल पर गैलरी बनाने की घोषणा की।
बैठक की अध्य क्षता करते हुए डांगी ने कहा कि समारोह को भव्यता प्रदान करने में उदयपुर के हर वर्ग को सहयोग करना होंगा। मुख्य संयोजक दिलीपसिंह राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन देते हुए उदयपोल पर महाराणा उदयसिंह की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की मांग की। प्रेमसिंह शक्तावत ने कहा हमें इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु जन चेतना के मध्यम से जनता में सर्मपण का भाव जाग्रत करना होगा। रेखा जैन ने आहवान किया कि शहर में स्वागत द्वार लगा, प्रकाश की व्यवस्था करें।
नगर निगम, उदयपुर महिला समृद्धि बैंक की अध्यनक्ष किरण जैन, लोकजन सेवा संस्थान के इन्दरसिंह राणावत, देवाली व्यापार मंडल एवं प्रताप पूंजा शस्त्र कला प्रशिक्षण केन्द्र, देवाली के फतहसिंह राठौड़, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के शक्तिसिंह कारोही, दशोरा ब्राह्मण समाज के जमनालाल दशोरा, कहार भोई समाज के शोभा लाल कहार, महिला मोर्चा की गोपाल कंवर शक्तावत, महर्षि वालमिकी युवा संगठन, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के देवेन्द्र माथुर, नवकृति संस्था के इकबाल हुसैन इकबाल ने एवं विभिन्न संस्थाओं ने नगर में स्वागत द्वार लगाने की सहमति प्रदान की व अन्य ने सूचित करने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. विमल शर्मा ने चार दिवसीय कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। सभी समितियों के अध्यक्षयों व पार्षदगणों तथा विभिन्न समाजों व प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया कि इस स्थापना दिवस को अविस्मरणीय बनाने के लिए नगर के सभी शहरवासी 2 मई को रात 8 बजे से 9 तक बजे अपने-अपने घरों व प्रतिष्ठानों की छत्त पर कम से कम पांच दीपक या मोमबत्ती तथा लाइट की व्यवस्था करने का निर्णय किया गया। भंवर सेठ ने उदयपुर स्थापना दिवस के पूर्व में आयोजित कार्यक्रमों का स्मरण कराया। जयकिशन चौबे ने यज्ञ की विस्तृत जानकारी देते हुए आगामी वर्षों में शाही सवारी निकालने पर जोर दिया। बैठक में नगर निगम सदस्य व विभिन्न समाजों के 60 से अधिक सदस्यों ने भाग लेकर समारोह को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग प्रदान करने की प्रतिबद्धता दर्शाई। धन्यवाद की रस्म अदबी संगम के मुश्ताक चंचल ने अदा की।