ज्ञान की गंगा का विस्तार करें छात्र : शर्मा, राजस्थान विद्यापीठ का पांचवा दीक्षांत समारोह, पदमभूषण महाश्वेणतादेवी को डी. लिट्
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वथविद्यालय का शनिवार को कुछ माहौल ही अलग था। आखिरकार 52 छात्रों को स्विर्ण और 100 विद्यार्थियों को पीएच. डी. की उपाधि जो मिलने वाली थी। ऐसे ही कुछ प्रफुल्लित माहौल में कार्यक्रम का आगाज हुआ। 52 स्वेर्ण में से करीब 35 स्वरर्ण पदक पर तथा आधे से अधिक पीएच. डी. की उपाधियों पर बेटियों का कब्जा रहा।
प्रतानगर परिसर में सुबह 11 बजे से शुरू हुए दीक्षांत समारोह में पदकों का वितरण कुलाधिपति प्रो. भवानीशंकर गर्ग, भारत सरकार के विधि आयोग के सदस्य प्रो. मूलचंद शर्मा, कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने किया। कुलाधिपति प्रो. गर्ग ने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि उन्होंने जो सफलता प्राप्त की है उसे सीमित नहीं होने दें। इस ज्ञान की गंगा का और अधिक विस्तार करें। उन्होंने कहा कि जिस तरह बालिकाएं उच्च शिक्षा में आगे बढ़ रही हैं, यह उदयपुर ही नहीं पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।
मुख्य अतिथि प्रो. मूलचंद शर्मा ने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि उच्च शिक्षा के साथ शोध कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि आज देश में राजस्थान विद्यापीठ जैसी संस्थाओं की बहुत आवश्य कता है जो समाज के हर क्षेत्र में अपना कार्य कर सके। प्रौढ़ शिक्षा के साथ-साथ गांव-गांव में सतत शिक्षा महिला एवं बाल षिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण शिक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्यवकता है। विद्यापीठ ने इस क्षेत्र में अपूर्व कार्य किया है। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा का सम्बंध बालक के जन्म से पूर्व से लकर उसके पूर्ण विकसित नागरिक बनने तक निरंतर रहता है। शिक्षा ज्ञान संग्रह के साथ राष्ट्रीय चिंता धारा से संयुक्त समाजोपयोगी भी होनी चाहिए। यह आत्मज्ञान से ही संभव है। सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान की आवश्यपकता नहीं अपितु व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्याक है। वैश्वी करण और बाजारवाद के इस दौर में ज्ञान-विज्ञान और आदर्शों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र तथा समाज की सेवा में आगे आएं।
समारोह में एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के बाद कतारबद्ध सीओडी के सदस्य दीक्षांत समारेाह की वेशभूषा में रजिस्ट्रार डॉ. देवेन्द्र जौहर के सान्निध्य में परिसर में आए। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और उपाधियों का वितरण प्रारंभ किया। बताया गया कि बीएड, एमएड, बीबीएम, डीसीए, एमसीए, एमबीए, एमएसडब्ल्यू, एमएचआरएम, स्नातक एवं स्नातकोत्तर में टॉपर रहे विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिया गया
महाश्वेता को मानद डी. लिट् : समारोह में ज्ञानपीठ, मेग्सेसे एवं पदमभूषण से सम्मानित महाश्वेमतादेवी को डी. लिट् की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. एम. एस. राणावत, डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना, प्रो. बी. एल. फडिया, डॉ. सुनिता सिंह, डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. राजन सुद, डॉ. ललित पाण्डेय, प्रो. एन.एस.राव, डॉ. सुमन पामेचा, डॉ. एस. के. मिश्रा, डॉ. मनीष श्रीमाली, प्रो. आर. बी. सिंह, डॉ. आर.पी. सनाढय, डॉ. सरोज गर्ग, डॉ. गिरिशनाथ माथुर, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, प्रकाश धाकड़, डॉ. मंजू मांडोत सहित विभागों के डीन एवं डायरेक्टर व शहर के गणमान्य नागरिक व समाजसेवी उपस्थित थे।