प्रवेशसिंह चौहान को पीएच.डी.
उदयपुर। राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विस्तार विभाग से प्रवेशसिंह चौहान को ‘राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेदषी परियोजना के तहत बागवानी आधारित समन्वित कृषि प्रणाली के माध्यम से आदिवासी क्षेत्र के कृषकों के रूपान्तरण का मूल्यांकन अध्ययन’ विषयक शोध करने पर विद्यावाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई।
यह शोध उन्होंने प्रोफेसर डॉ. के. एल. डांगी के निर्देशन में पूर्ण किया। उन्हों ने अपने निर्देशन में जिस भावना से बाग़वानी आधारित समन्वित कृषि प्रणाली इस क्षेत्र में चलाई गई है यह प्रणाली उसी रूप में कृषकों के जीविकोपार्जन व पोषक सुरक्षा को दृढ़ता प्रदान कर रही है। एनएआईपी के कारण पीवीसी पाइप लाइन लोकप्रिय हुआ है, जो एनएआईपी की प्रभावशीलता को दर्शाता है। भविष्य में एनएआईपी जैसी परियोजना के तहत देश के अन्य सीमान्त एवं लघु किसानों को फल एवं सब्जी उत्पादन हेतु महत्व दिया जाना चाहिए। अनुसंधानिक क्षेत्र में बहाव सिंचाई महत्व ना देकर वैज्ञानिक विधियों जैसे बूंद-बूंद सिंचाई विधि, स्प्रिंकलर एवं रेन गन इत्यादि का उपयोग बहुतायत से किया जाए। सीमान्त, लघु एवं बडे कृषको के द्वारा सब्जियों एवं फलो के उत्पादन किए जाने हेतु उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाय व प्रेरित किया जाए एवं प्रारम्भ से लेकर उत्पाद के मूल्यवर्द्धन तक सभी भरसक प्रयास किये जाए। एनएआईपी के तहत दिए गए पांच आयामों (आर्थिक विकास, ज्ञानवर्धन, अधिक रोजगार, उत्तम प्रकार की पोषण सुचनाएं, पलायन रोकना) के अलावा और भी नये आयाम जोडे़ जाए और एनएआईपी का कार्यकाल बढा़या जाए।