ग्यारह दिवसीय धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर
उदयपुर। लौट के आजा महावीर.. तुझे चंदना पुकारे, एक गुरु है एक पंथ निराला, चिठी आई है प्रभु की चिठी आई है, इत्यादि भजनों पर बालक-बालिकाओं ने प्रस्तुतियां देकर उपस्थित जनसमुदाय को भाव-विभोर कर दिया। मौका था धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर के समापन समारोह का।
देवेन्द्र धाम में जैनाचार्य देवेन्द्र महिला मंडल द्वारा आयोजित ग्यारह दिवसीय 12 वें ’धार्मिक नैतिक संस्कार‘ शिविर का रविवार को समापन समारोह हुआ जिसमें विशिष्ट अतिथि जिला प्रमुख मधु मेहता ने कहा कि धार्मिक संस्कारों के अंकुरोपण के लिए शिविर आवश्यक है। ग्यारह दिवस चलने वाले शिविर संस्कारों की भूमि तैयार करते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि शिविर में दिए गए संस्कारों को जीवित रखने के लिए बच्चों को सतत धर्म और नैतिक जीवन की प्रेरणा देते रहें। यदि हम ऐसा कर सकें तो शिविर में दिए गए संस्कार एक संस्कारित समाज को जन्म दे सकते हैं।
नवकार महामंत्र के स्तुति से प्रारम्भ समापन समारोह में मेहता ने शिविराथियों को समर्पण, अनुशासन, कर्त्तव्यनिष्ठा, समयबद्धता अपनाने की प्रेरणा दी। बच्चों के इस गर्मी के मौसम में भी शिविर में भाग लेने की उत्कंठा के बारे में उन्होंने कहा कि बच्चों का इस गर्मी में शहर के उपक्षेत्रों से आ जाना एक आश्वर्य की बात है। महिला मंडल की अध्यक्ष सुधा भंडारी ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए बताया कि बच्चों के जीवन को संस्कारित बनाने के लिए यह 12 वां शिविर था, पिछले ग्यारह शिविरों से 1600 से अधिक बच्चें लाभान्वित हो चुके है। मुख्य्ा अतिथि महापौर रजनी डांगी ने शिविरार्थियों को यहां अर्जित ज्ञान व संस्कारों को आगे और विस्तार देने की प्रेरणा दी। उल्लेखनीय है कि इस ष्वििर में 5 वर्ष से 21 वर्ष तक के 185 बालक बालिकाऐं भाग ले रही थी। षिविर में महवीर दरबार का अनावरण इन्द्रसिंह मेहता द्वारा किया गया।
महिला मंडल की मंत्री ममता रांका ने मंडल द्वारा वर्षभर में किए गए आयोजनों की जानकारी दी। शिविर में विभिन्न आयु के बच्चों ने समूह नृत्य, नाटक, कव्वाली आदि प्रस्तुत किये। मुख्य रुप से भगवान महावीर के कानों में कीलें ठोकने का मार्मिक प्रसंग व कर्म नचाये नाच, संस्कारी नारी, लक्ष्मी को क्या लक्ष्मी दूं, धन्ना सेठ व भ्रूण हत्या महापाप पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसे देखकर उपस्थित जन अवाक् रह गए। बालकों ने शिविर संस्मरण सुनाए। समारोह में बच्चों को बसन्ती कुमार, रमेश, सुरेश, राजेन्द्र व दीपक बडा़ला परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया व हंसराज मुकेश चौधरी द्वारा प्रमाण पत्र दिये गये।
इसी क्रम में अन्य क्षेत्रों में लम्बे समय से कार्य कर रहे महानुभावों का भी सम्मान किया गया। समारोह में शहर के अनेक गणमान्य धर्मावलम्बी उपस्थित थे। संचालन रंजना मेहता ने किया जबकि धन्यशवाद की रस्म ममता रांका ने अदा की। शिविर को सफल बनाने में सोनिका चौरडिया, रेखा चितौडा, स्नेहलता जैन, निर्मला बडाला, इन्द्रा चौरडिया, रुपीबाई आंचलिय्ाा इत्यादि कार्यकर्ताओं का पुरुषार्थ नियोजित हुआ।
शिविर में इन्होंने दी सेवाएं : शिविर में अशोक जैन ने योग, धार्मिक अध्ययन व नैतिक संस्कारों का बीजारोपण परमेश्वर पोरवाल, श्रीमती राजकुमारी पोरवाल, रीतु नावेडिया, ललीता बाफणा, लता पोखरणा तथा शीतल जोशी, लवली रांका, शुभम चितौडा ने नृत्य प्रशिक्षण, राजकुमार मेनारिया ने आत्मरक्षा व जूडो कराटे, नेहा कोठारी, नेहा सिंयाल, नेहा जैन ने ड्राईंग व पेपर आटर्स इत्यादि का प्रशिक्षण दिया।
श्राविका रत्न अलंकरण : समाज की उत्कृष्टण सेवाओं में अग्रणी धर्ममूर्ति सुषीलादेवी धर्मपत्नी किरणमल सावनसुखा को देवेन्द्र महिला मंडल की ओर से ‘श्राविका रत्न’ अलंकरण प्रदान किया गया। मंडल की ओर से उन्हें प्रशस्ति पत्र, शाल – माला पहनाकर उनका अभिनंदन किया गया।
निर्देशिका का प्रकाशन : अध्यक्ष सुधा भंडारी ने बताया कि देवेन्द्र धाम परिक्षेत्र के अंतर्गत माडर्न काम्पलेक्स, फलोरा, महाप्रज्ञ विहार, पुला इत्यादि क्षेत्रों के सभी जैन धर्मावलम्बियों की जानकारी एकत्रित कर ‘जय जिनेन्द्र निर्देषिका’ नामक निर्देषिका का प्रकाषन अतिषीघ्र होगा।
चार लडकियों को मिलेगी छात्रवृति: मंत्री ममता रांका ने समारोह में घोषण करते हुए कहा कि देवेन्द्र महिला मंडल की ओर से चार जैन बालिकाओं को कॉलेज पढाई हेतु प्रतिवर्ष छात्रवृति प्रदान की जाएगी।