गंगा दशहरा पर श्रमदान, गंगा पूजन व संवाद
उदयपुर। सम्पूर्ण गंगा नदी बेसिन की स्वच्छता से ही गंगा स्वच्छ होगी। गंगा नदी बेसिन में भारत की पचास करोड़ आबादी निवास करती है। राजस्थान सहित ग्यारह राज्यों में फैली गंगा नदी बेसिन में व्यापक व सहभागी संरक्षण से जनजीवन स्तर में सुधार एवं स्थायी सामाजिक आर्थिक प्रगति होगी।
ये विचार झील संरक्षण समिति के सह सचिव अनिल मेहता ने गंगा दशहरा पर आयोजित श्रमदान व गंगा पूजन के पश्चात आयोजित संवाद में व्यक्त किये। ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि सीसारमा, पिछोला, फतहसागर, आयड़, उदयसागर, बेड़च तंत्र की गंगा नदी की एक उपधारा है। यह उपधारा चम्बल में मिल में गंगा में समाती है। उदयपुर में आयड़ सुधार के ग्रीन ब्रिज प्रयोग को भारत सरकार ने भी दस्तावेजो में गंगा नदी सुधार में एक उपयुक्त और प्रभावी माध्यम माना है।
चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने बताया कि आयड़ को बचाना, प्रदूषण मुक्त रखना गंगा नदी की स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए सर्वप्रथम सीवरेज व गंदगी के प्रवाह को झीलों में जाने से रोकना होगा। पालीवाल ने सभी उपस्थित नागरिकों को झील नदी संरक्षण में जुटने की शपथ दिलाई। झील संरक्षण समिति, मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, चांदपोल नागरिक समिति, झील हितैषी नागरिक मंच के सहयोग से उत्तराखंड विकास समिति द्वारा गंगा पूजन कार्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा समन्वयन समिति, समय संस्थान सहित शहर एवं चांदपोल क्षेत्र के नागरिकों ने भाग लिया।
गंगा पूजन में गंगा जमनी तहजीब साकार हुई जब उत्तराखंड प्रवाशियो के साथ पर्यावरणविद डॉ. फातिमा लियाकत व मत्स्य विशेषज्ञ इस्माइल अली दुर्गा व कृषि विशेषज्ञ ए. आर. खान ने गंगा पूजन की आराधना में भाग लिया। गंगा आरती का संयोजन उत्तराखंड विकास समिति के अध्यक्ष आदित्यराम शर्मा एवं सचिव दर्शन सिंह रावत ने किया। इस अवसर पर आयोजित रविवारीय श्रमदान में चांदपोल समिति, झील हितैषी नागरिक मंच, झील संरक्षण समिति, डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट सहित उत्तराखंड विकास समिति के महिला एवं पुरुष सदस्यों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।