उदयपुर। ईश्वर ने मनुष्य के शरीर में लीवर एक ही दिया है लेकिन इसके बावजूद वर्तमान में लीवर ट्रांसप्लान्ट बहुत हो रहे है। चिकित्सक लीवर में से कुछ हिस्सा काटकर लीवर रोगी में उसका ट्रासंप्लान्ट कर उसे नया जीवन देता है। ईश्वर ने लीवर में इतनी शक्ति दी है कि लीवर डोनर के शरीर में कटा हुआ लीवर तीन से छह माह में पुन: अपने वास्तविक शेप में आ जाता है।
जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएन्ट्रोलोजिस्ट डॉ. पंकज गुप्ता ने रोटरी क्लब द्वारा लीवर की खराबी विषय पर आयोजित वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उक्त बात कहीं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर लीवर की खराबी के लक्षण प्राथमिक तौर पर दिखाई नहीं देते। लीवर दो प्रकार से खराब होता है। एक तो धीर-धीरे व एकदम अचानक तरीके से। बचपन में यदि पीलिया हुआ हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिये क्योंकि उस समय पीलिये की नहीं कराई गई जांच आगे जाकर लीवर खराबी में तब्दील हो सकता है।
इन कारणों से होता है लीवर खराब : हेपेटाइटिस बी व सी, अत्यधिक शराब सेवन, इंजेक्शलन से नशा लेने पर, मधुमेह, मोटापा के कारण लीवर खराब हो सकता है लेकिन इन सभी में लीवर का उपचार संभव है लेकिन हेरीडेटरी मेटाबोलिक की स्थिति में लीवर को कोई उपचार संभव नहीं है क्योंकि उसमें लीवर ट्रांसप्लांट की एकमात्र उपाय है।
इनके होने पर तुरन्त लीवर की जांच कराएं : खून की उल्टी होने पर, पेट में पानी भरने पर, फेफडे में पानी भरने पर, याददाश्त में कमजोरी आना, हाथ में नीले रंग का निशान होने पर तुरन्त लीवर की जांच करायी जानी चाहिए।
भारत में मेदान्ता हॉस्पीटल में अब तक सर्वाधिक 2 हजार लीवर ट्रांसप्लान्ट हो चुके हैं। इसके अलावा जयपुर के संतोकजी दुर्लभजी मेमोरियल हॉस्पीटल में भी लीवर ट्रांसप्लान्ट की सुविधा आगामी 6 माह में उपलब्ध होने लगेगी है। प्रारम्भ में क्लब अध्यक्ष बी.एल.मेहता ने भी अपने विचार रखें। सचिव सुरेन्द्र जैन ने बताया कि 18 जून को रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा जनता को समर्पित किये जाने वाले दूसरे रोटरी मोक्षरथ का लोकार्पण किया जाएगा। 22 जून को गीताजंलि हॉस्पीटल के सभागार में रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3052 का आभार प्रदर्शन समारोह होगा। प्रारम्भ में श्रीमती राजेन्द्र चौहान ने ईश वंदना प्रस्तुत की जबकि अंत में डॉ. यशवन्तसिंह कोठारी ने धन्यवाद दिया।