महिलाओं ने बताए सर्वांगीण विकास के आवश्यक सूत्र
उदयपुर। महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए न सिर्फ शिक्षा जरूरी है बल्कि इसके साथ नैतिक शिक्षा भी बहुत जरूरी है। महिलाओं को शिखर तक पहुंचने के लिए सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी होना चाहिए। आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही हैं।
ये विचार महिलाओं ने व्यक्त किए महिलाओं के सर्वांगीण विकास के आवश्यक सूत्र विषयक आध्यात्मिक प्रशिक्षण कार्यशाला में जिसका आयोजन मंगलवार को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से तेरापंथ भवन में किया गया।
चातुर्मास पूर्व तेरापंथ भवन में विराजित साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में हुई कार्यशाला में महिलाओं ने न सिर्फ कार्यशाला के बारे में अपितु महिलाओं के विकास पर भी विचार व्यक्त किए। साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि गत एक वर्ष से चल रही आध्यात्मिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आज अंतिम दिन है। बड़े हर्ष का विषय है कि ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन हो रहा है और उसमें भी सोने पर सुहागा यह कि महिलाओं की इसमें पूर्णतया भागीदारी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ व्यक्ति और साथ ही साथ समाज का विकास भी हो। हालांकि विकास की कोई सीमा नहीं है लेकिन संतुलित विकास होना अत्यावश्यक है। अच्छे जीवन, परिवार के लिए उद्देश्यपूर्ण, रचनात्मक और सृजनात्मक विकास होना चाहिए। महिलाएं प्रोफेशनल तरीके से अच्छा विकास कर रही हैं। महिलाओं की आर्थिक संपन्नता की महत्वाकांक्षाएं जुड़ी हुई है। जिस अर्थ के लिए आप अभी स्वास्थ्य को खो रहे हैं बाद में उसी स्वास्थ्य के लिए अर्थ देना पड़ेगा इसलिए शरीर का संतुलन बनाए रखें। विकास का पहला सोपान स्वास्थ्य सुरक्षा है। विकास के द्वार कभी बंद नहीं होते। उन्होंने साधु साध्वियों का प्रतिनिधित्व करने वाले उपासक वर्ग की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
साध्वी मधुलता ने कहा कि सर्वांगीण विकास सभी के लिए अपेक्षित है। आज महिलाएं फर्श से अर्श तक का सफर तय कर चुकी हैं। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें महिलाओं ने दखलंदाजी नहीं की हो। साथ ही मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक विकास भी महिलाओं की जिम्मेदारी है। ऐसी आध्यात्मिक कार्यशालाओं में महिलाओं का एकत्र होना बहुत अच्छा लग रहा है जबकि अधिकतर किचन थैरेपी वाली कार्यशालाओं में तो महिलाओं की खासी भीड़ उमड़ पड़ती है वहीं ऐसी आध्यात्मिक कार्यशालाओं में कम ही महिलाएं आती हैं। साध्वी श्री ने सात सकार संयम, सादगी, शालीनता, श्रम, सेवा, सहिष्णुता और समर्पण को महिला विकास के लिए आवश्यक बताया।
महिलाओं के सर्वांगीण विकास के आवश्यक सूत्र बताते हुए निर्मला दुग्गड़ ने कहा कि पुरातन इतिहास को उठाकर देखें, जब-जब भी धर्म के काम हुए तब तब नारी को महत्व दिया गया। महिलाएं घर-परिवार का तो ध्यान रखती ही हैं, समाज में होने वाली गतिविधियों पर भी ध्यान दें। एक नारी शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। नारी शिक्षित होगी तो अबला से सबला वैसे ही बन जाएगी। जहां नारी का विकास नहीं होगा, देश आगे नहीं बढ़ सकता। श्रीमती आजाद तलेसरा ने कहा कि साक्षरता का अभाव होने से बालिकाएं आज भी ड्रॉप आउट कर जाती हैं। रुढि़वादी परंपराओं के कारण भी महिला विकास में रुकावट आती है। आज विकसित होने की आवश्यकता है। शिक्षा विकास की सीढ़ी का पायदान है। शिक्षा जीवन जीने की कला सिखाती है।
कार्यशाला आयोजन के बारे में विजयलक्ष्मी मुंशी ने आध्यात्मिक कार्यशाला को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि ऐसी कार्यशालाओं से न सिर्फ ज्ञान में वृद्धि हुई है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ वक्ताओं को सुनने को मिला जो प्रेरक रहा। प्रतिभागी कशिश पोरवाल ने कहा कि तेरापंथी सभा का यह अनूठा प्रयास बेहद सराहनीय रहा। समाज में पहली बार इस तरह की कार्यशाला हुई जो निस्संदेह निरंतर रहनी चाहिए। सामाजिक व धार्मिक वातावरण के लिए यह आवश्यक है। श्रीमती केसर तोतावत ने कहा कि कर्मों की निर्जरा के लिए अन्य विविध वक्ताओं द्वारा ज्ञानोपयोगी जानकारी समय समय पर मिलती रही, जो सराहनीय है। श्रीमती आजाद तलेसरा ने कहा कि कार्यशालाओं का आयोजन उत्साहवर्धक रहा। सबसे खास बात यह कि कार्यशाला से समय की पाबंदी सीखने को मिली। प्रेक्षाध्यान के जो प्रयोग करवाए गए, उनसे न सिर्फ मानसिक बल्कि आत्मिक शांति की अनुभूति हुई है। संगीता पोरवाल ने कहा कि बारह माह में अलग अलग क्षेत्रों से विशेषज्ञ वक्ता आए जिन्होंने न सिर्फ अपनी जानकारी हमारे साथ बांटी बल्कि वे तेरापंथ धर्मसंघ की विविधताओं से भी परिचित हुए।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि एक वर्ष तक 12 कार्यशालाएं हुईं। इनमें सभी ने सक्रिय होकर भाग लिया। अगली कार्यशाला 24 जुलाई को होगी जिसमें सभी 12 कार्यशालाओं में दी गई जानकारी का सामूहिक टेस्ट होगा। गत कार्यशाला में आयोजित प्रतियोगिता की विजेता माधुरी पोरवाल, प्रतिभा इंटोदिया एवं कशिश पोरवाल तथा आयोजित गेम्स स्पर्धा की विजेता श्रीमती आजाद तलेसरा, प्रियल बोहरा एवं प्रतिभा इंटोदिया को पुरस्कृत किया गया।
सभा के मंत्री अर्जुन खोखावत ने कहा कि आध्यात्मिक कार्यशालाओं के आयोजन का उद्देश्य समाज में छिपी प्रतिभाओं को बाहर लाना था। प्रतिभाओं ने विभिन्न स्पर्धाओं के माध्यम से अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। 24 जुलाई को सभी कार्यशालाओं का सामूहिक टेस्ट होगा।
शताब्दी गीत से कार्यक्रम का आगाज शशि चह्वाण, मंजू फत्तावत, सीमा कच्छारा, मोनिका कोठारी एवं सरिता कोठारी ने किया। जून में जन्मदिन वाली महिलाओं चंद्रा बोहरा, कुसुम बाबेल, लक्ष्मी कोठारी, मंजू पोरवाल, मीनू नागौरी, अनिता पोरवाल, चंद्रा पोखरना, तारा कच्छारा, निर्मला दुग्गड़, पुष्पा नांदरेचा, सीमा कच्छारा, सोनल सिंघवी एवं वीना धाकड़ का उपरणा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। संगीता पोरवाल ने पे्रक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। संचालन सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने किया वहीं आभार संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने जताया। कार्यशाला में सहयोग तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता, मंत्री अभिषेक पोखरना ने दिया।
प्रज्ञा दिवस आज : तेरापंथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में बुधवार को तेरापंथ भवन में आचार्य महाप्रज्ञ का जन्म दिवस बुधवार को प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।