साध्वी कनकश्रीजी का तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
उदयपुर। आगे बढऩे के दो रास्ते हैं, उपासना और अभ्यास। अगर निरंतर आगे बढऩा है तो दोनों को साथ चलाना होगा। आज की नई पीढ़ी शिक्षित है लेकिन सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करती। आज भी अध्ययन का प्रयोग नहीं हो रहा है।
ये विचार तेरापंथ धर्मसंघ की बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी कनकश्रीजी ने बुधवार को तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के बाद आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रमुख मधु मेहता ने कार्यक्रम में शिरकत की।
साध्वी श्री ने कहा कि उपासना छोड़ दी और अभ्यास नहीं किया तो फिर मंझधार में अटक जाएंगे। किसी भी धर्मस्थल पर जाने से पहले चार बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सम्यक दृष्टि रखें, जीवनचर्या शुद्ध हो, आजीविका शुद्ध हो और व्यसनमुक्त हों। उदयपुर तो जैन नगरी है। धर्मशासन में ऐसे कई तपस्वी हुए हैं जिन्होंने उदयपुर से ख्याति अर्जित की है। संन्यासी तो वह है जो किसी से राग-द्वेष नहीं रखे, प्रतिष्ठा के लिए नहीं दौड़े। अंधकार छोड़ उजाले की इंतजार में हमें तपस्या करनी होगी। धर्माराधना करनी होगी।
साध्वी मधुलता ने कहा कि कृषि और ऋषि दोनों समान हैं। दोनों के लिए चातुर्मास (चौमासा) जरूरी है। इससे पहले की तैयारियां जरूरी है। बारिश आने से पहले किसान अपने खेतों की तैयारी करता है। अच्छी फसल के लिए जमीन को उर्वरा करता है ठीक उसी प्रकार चातुर्मास से पूर्व साधु-साध्वीजन भी अपनी अपनी तैयारियां करते हैं। श्रावक-श्राविकाओं को क्या साधना करनी है और क्या साधना करवानी है। कामधेनु, कल्पवृक्ष और चिंतामणि ये तीनों चीजें जिसके पास हों, वह सबसे सौभाग्यशाली है। तेरापंथ धर्मसंघ का ऐसा ही एक महाकल्पवृक्ष आचार्य महाश्रमण के रूप में डगर-डगर चलकर आज दिल्ली में प्रवेश कर गया है जिसका उद्देश्य समूची दिल्ली को व्यसनमुक्त बनाना है। साधु साध्वी भले ही भौतिक सुख सुविधाओं की पूर्ति न कर सकें लेकिन आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति अवश्य करते हैं। आचार्य तुलसी ने भी कहा है कि लकीर के फकीर न बनें। कुछ न कुछ नया करें, करते रहें। नया सोचो, नया करो। पुराने पर चलते रहे तो विकास नहीं कर पाएंगे। कुछ परिवर्तन लाएं, कुछ नया करें, आलस्य, प्रमाद छोड़ें। इससे पूर्व जिला प्रमुख मधु मेहता ने कहा कि साध्वी श्री का मंगल प्रवेश सभी के जीवन में मंगल प्रदान करने वाला है। चार माह में सभी समाजजन पूरा लाभ लें। चातुर्मास से सभी बुराइयों का हरण कर प्रकाश फैलता है। इस दौरान साध्वी वीणा कुमारी, साध्वी मधुलेखा एवं साध्वी समितिप्रभा ने मंगलाचरण किया।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि कर्मों की निर्जरा के लिए चातुर्मास सर्वोत्तम समय है। आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष में हमने विविध आयोजन किए हैं। हर्ष की बात यह कि वर्ष का समापन चातुर्मास के दौरान 25 अक्टूबर को होगा जिसका कार्यक्रम साध्वी श्री के सान्निध्य में होगा। हमने पूरे वर्ष भर समाज के युवाओं, महिलाओं सहित हर आयु वर्ग के लोगों को जोड़े रखने के हरसंभव प्रयास किए और हमें काफी सफलता भी मिली। वरिष्ठ नागरिक संस्थान, आध्यात्मिक कार्यशालाएं, निशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण आदि विविध कार्यक्रम हम वर्ष भर करते रहे हैं। आचार्य महाश्रमण के एडवाइजरी बोर्ड के समकक्ष मानी जाने वाली सात सदस्यीय बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी कनकश्रीजी का हमें इस वर्ष सान्निध्य मिला है, यह बड़े हर्ष का विषय है। चातुर्मास के बाद भी यहां समाजजनों की नियमित उपस्थिति रही है। चातुर्मास के दौरान सुबह नियमित प्रवचन होंगे, दिन में तत्व चर्चा तथा शाम हो अर्हत वंदना होगी। समाजजन इसमें भी पूर्ण उल्लास के साथ हिस्सा लेंगे।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष निर्मल कुणावत, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना, महिला मंडल की अध्यक्ष मंजू चौधरी ने भी साध्वी श्री को विश्वास दिलाया कि उनकी ओर से चातुर्मास के दौरान कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रयास रहेगा कि चातुर्मास ऐतिहासिक हो। इससे पहले शशि चह्वाण, केसर तोतावत आदि ने स्वागत गीतिका प्रस्तुत की वहीं बजरंग सामसुखा एंड पार्टी, शीला धाकड़ एवं समूह ने भी साध्वी श्री के वंदन में गीतिका सुनाई। ज्ञानशाला के निदेशक फतहलाल जैन ने भी संबोधन दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने किया।