उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि हम विधिताओं वाली दुनिया में जीवन यापन कर रहे है जिसमें प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक विधि के अनेक विकल्प विद्यमान रहते हैं। यह हमारी योग्यता पर निर्भर करता है कि हम क्या ग्रहण करें और किसका परित्याग करें।
वे पंचायती नोहरे में चातुर्मासिक प्रवचन के तहत आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसलिए परमात्मा भगवान महावीर ने सरल मार्ग दिखाया कि जो मार्ग तुम्हारे लिए श्रेयस्कर हो उस पर चलो। प्रियता में भौतिक आकर्षण छुपा रहता है। अत: निर्णय भी गलत जा सकता है किन्तु धेर्य का अर्थ है कल्याण, और कल्याणकारी कार्य का चयन करके हम अपने जीवन में अनेक भौतिक आध्यात्मिक सफलताओं को प्राप्त कर सकते हैं।
मुनिश्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने विषय में स्वयं का जज है। उसे जीवन में निर्णय लेते समय हुए सदगुणों का प्रधानता देनी चाहिये। अन्तत: सदगुण ही तो सच्चरित्र का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्व एक सरोवर की तरह है जहां मोती भी है और कंकड़ भीए।यदि हंस बुद्धि है तो आप सदगुण के मोती चुनिये। बुराइयों के कंकड़ चुनकर तो आपको उपद्रव ही प्राप्त होगा। जीवन की सफलता और असफलता व्यक्ति के चयन में ही निर्भय है। यदि चयन अशुद्ध है तो चरित्र भी गन्दा हो जाएगा। उन्होंने बताया की जितने सद्पुरुष या युग पुरुष हुए हैं उन्होंने श्रेष्ठ को ही ग्रहण किया हैं, ऐसा करके वे महान बन गये। संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बडा़ला ने किया।