उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि हमारी संस्कृति किसी भी वस्तु को आपस में मिल बांटकर खाने की हैं। यदि हम अपनी संपति और अपने साधन स्वयं लेकर बैठ जाएं, किसी को हिस्सा न दें तो ऐसा स्वार्थी हमारे यहां राक्षस माना जाता है।
वे आज पंचायती नोहरे के धर्म सभागार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि आज परिवारो में समाज में देश में सर्वत्र साम्यवाद नही, समतावाद की जरूरत है। साम्यवाद एक अच्छा शब्द था किन्तु इसे रक्त रंजित कर दिया अत: इसके स्थान पर हमें समानवाद या समतावाद लाना चाहिये। उपलब्ध साधनों का योग्यता और पात्रता के अनुसार सभी को लाभ मिलना चाहिये। कोई भी अपने उचित हक से वंचित न रहे यही हमारी संस्कृति हैं। कौरवों ने पांडवों को उनका अधिकार नहीं दिया फल स्वरूप महाभारत युद्ध हुआ और भारत का एक तरह से सर्वनाश हो गया।
जीवन से राग को दूर रखें : श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ मालदास स्ट्रीट के चातुर्मास में मुनि श्री मुनिरत्न सागर ने इन्द्रिय कषाय जप-तप की चल रही आराधना में कहा कि जीवन को परमात्मा के श्रीचरणों में पहुंचना है, जीवन को सफल बनाना है तो राग को त्यागना बहुत आवश्यक है। मन में राग रहेगा तो व्यक्ति कभी परमात्मा के सम्मुख नहीं पहुंच सकता अर्थात मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकता। राग को त्यागना है तो वैराग्य को अपनाना पड़ेगा। इन्द्रिय कषाय जप-तप में लगभग 50 से भी ज्यादा तपस्वी भाग ले रहे है। सभा में तैले की तपस्या कर रहे प्रकाश लोढ़ा का बहुमानसंघ ने किया। सभी आगंतुकों को अभिवादन चातुर्मास संयोजक गजेन्द्र नाहटा ने किया। अधिक से अधिक संख्या में धर्म प्रभावना हेतु निवेदन भी किया। यह जानकारी चातुर्मास सहसंयोजक अरुण कुमार बडा़ला ने दी।