आईआईएमयू की ओर से एचआर की कार्यशैली में बदलाव समय की जरूरत विषयक व्याख्यान
उदयपुर। आईआईएमयू के निदेशक प्रो. जनत शाह ने संस्थान के लक्ष्यों और दूरदर्शिता की ओर इंगित करते हुए (इमर्शन, इंटरप्रेन्योरशिप, लीडरशिप और एनालिटिक्स) संस्थान के चार स्तम्भ बताए। उन्होंने औद्योगिक वर्ग और शिक्षा जगत के सम्मिलित मंच पर आने की जरूरत पर बल दिया।
वे आईआईएमयू 2014 की ओर से ‘मानव संसाधन के क्षेत्र में बदलते समय के साथ कार्यशैली में बदलाव की आवश्यकता है’ विषयक स्पंदन-2014 को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम मानव संसाधन सम्मेलन का द्वितीय संस्करण था। रेडिसन ब्लू होटल में हुए कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर केन्द्री य मानव संसाधन मंत्राय में बोर्ड ऑफ डायरेक्टहर्स के चेयरमैन भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के प्रो. सुनील माहेश्वरी ने प्रेरक वक्तव्य में एमडीपी कार्यक्रम के छात्रों पर किये गए लीडरशिप के सर्वे के परिणाम बताए। उन्होंने प्रशिक्षकों को भी विश्व के सुप्रसिद्ध स्कूल्स में भेजकर वहां की कार्यशैली समझने का आह्वान किया।
चर्चा के प्रथम सत्र में मानव संसाधन की कार्यप्रणाली पर सोशल , मोबाइल एवं डिजिटल मीडिया का प्रभाव और परिणाम पर विचार रखे गए। इसका संचालन संस्थान की छात्रा नेहा सिंह ने किया। विचारकों में सदरलैंड ग्लोबल के आशीष सिंह, डॉ रेड्डीस की पद्मा राजेश्वरी टाटा, एक्स्पेरिअन के सुगातो पाटिल और मारुति सुजुकी के विनोद राय ने विचार रखकर संस्थान के छात्रों और श्रोताओं के प्रश्नों का ज़वाब दिया। चर्चा में मुख्य रूप से मानव संसाधन को एक विषय से ऊपर परिणामकता की ओर बताया गया। इसके साथ साथ सोशल मीडिया की ज़रुरत मानव संसाधन के क्षेत्र में और सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की रिक्रूटमेंट में ज़रुरत जैसे मुद्दे सामने आए।
कार्यक्रम के दूसरे संस्करण में चर्चा के दूसरे सत्र ने “क्या वर्तमान में जारी लीडरशिप के कार्यक्रम नेतृत्व दे रहे हैं या अनुकरणकर्ता पर चर्चा हुई। संचालन करते हुए संस्थान के छात्र मयंक सेंगर ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अश्वनी पाराशर, जिंदल स्टील से प्रभु अग्रवाल और क्रिसिल के जी रविशंकर को प्रेरक विचारों के लिए आमंत्रित किया। इस वर्ग में मुख्य रूप से लीडर के गुण, लीडरशिप और फालोवरशिप में अंतर, वर्तमान में लीडरशिप के विकास की रुकावटें और विभिन्न इंडस्ट्रीज द्वारा लीडरशिप के विकास के लिए उठाये गए कदम पर चर्चा हुई। लीडरशिप केवल लीडर तैयार करती है ना कि फ़ालोअर, जैसे ओजस्वी विचार इस वर्ग के मुख्य बिंदू थे।
अंतिम सत्र में चर्चा का विषय पिरामिड ऑर्गनाइजेशनल स्ट्रक्चर के जॉब शेयरिंग और अंशकालिक रोल्स पर प्रभाव एवं परिणाम पर विचार व्यरक्ति किए। संचालन कुणाल गुलाटी ने किया। चर्चा में लार्सन एंड टूब्रो के देवव्रत महापात्र, सीएसएस कोर्प की संगीता मल्खाड़े, सन्गुइन कंसल्टेंट्स की संगीता सिंह और आरईसीएल के विनोद बेहारी ने विचार व्यहक्त, किए। विचारकों ने मुख्य रूप से स्ट्रक्चर में विभिन्नता और अलग-अलग लीडरशिप के तरीकों पर जोर दिया। इसके साथ ही साथ जीवन में वर्क लाइफ बैलेंस जैसे मुद्दे उठाए। आयोजन संस्थान के ध्रुव क्लब ने किया।