उदयपुर। प्रताप शोध प्रतिष्ठान, भूपाल नोबल्स संस्थान, इतिहास विभाग भूपाल नोबल्सक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वीरवर दुर्गादास राठौड़ की 375वीं जयन्ति समारोह के उपलक्ष्यय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. केएस गुप्ता ने दुर्गादास के जन्म से मृत्यु पर्यन्त तक की जीवन्त घटनाओं की जानकारी देते हुए उनकी स्वदेश प्रेम, कूटनीति, त्याग, बलिदान, धर्म सहिष्णुता के साथ ही स्वामी भक्ति के उदाहरणों से युवा पीढी़ को प्रेरित किया।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. ओकारसिंह केलवा ने दुर्गादास को मारवाड़ का प्रताप के रूप में प्रतिष्ठापित करने के प्रेरणादायक प्रसंगों को उजागर किया। वर्तमान में उत्कृष्ट् त्यागपूर्ण राष्ट्र भक्ति का कार्य करने वालों को वीरदुर्गा दास सम्मान करने की परम्परा के लिए योजना से अवगत कराया। विशिष्ट अर्तििथ के रूप में श्री प्रतापसिंह तलावदा ने तत्कालीन समय में भारतीय परिदृश्य में मुगल साम्राज्य विरोधी तत्वों के क्रिया कलापों का वर्णन करते हुए। दुर्गादास द्वारा सर्वशक्तिशाली व कट्टर सम्राट औरंगजेब के विरोध की पृष्ठ भूमि व क्रियान्विधि के महत्वपूर्ण उदाहरणों को प्रकट किया। निदेशक प्रताप शोध प्रतिष्ठान डॉ. मोहब्बत सिंह राठौड़ ने संस्थान परिचय के साथ अतिथियों का भावभीना स्वागत किया और समाज में वीरों की पुजा और स्मरण से आत्मबल व स्वाभिमान को बढावा मिलना बताया व वर्तमान में युवाओं को ऐसी जानकारी आवश्यक बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कमलसिंह राठौड़ ने किया तथा उन्होनें भी वीर दुर्गादास के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में प्रो. गिरीशनाथ माथुर, डॉ. गोपाल व्यास, डॉ. जीवन खरकवाल, डॉ. द्वाराकालाल माथुर, प्रो. जगदीश नारायण कविराज, डॉ. भूपेन्द्रसिंह, डॉ. प्रियदेश ओझा व डॉ. पंकज आमेटा आदि ख्यातनाम इतिहासकारों, व साहित्यकारों ने भाग लिया। विद्वानों ने प्रतिष्ठान के कार्यों का महती सेवाओं की सराहना कर उसे राजकीय सहायता की आवश्यकता बताया। अंत में भानू कपिल ने धन्यवाद दिया।