हाईकोर्ट बैंच आंदोलन का दबाव खत्म होते ही बदले सरकार के सुर
उदयपुर। उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर कैबिनेट ब्रीफिंग के बाद सरकार के सुर बदल गए हैं। कल वकीलों के आंदोलन को देखते हुए दबाव में आई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए बुलाया और विधि मंत्री को कार्रवाई आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
उधर शाम को चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ पत्रकारों को कैबिनेट ब्रीफिंग कर रहे थे, तब एक सवाल के जवाब में श्री राठौड़ ने कहा कि मामला राज्य सरकार के दायरे में नहीं है। इसका निर्णय उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार के हाथ में है। जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्य सरकार इस संबंध में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को प्रस्ताव भेजेगी तो बात को टालते हुए निकल गए।
उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर पिछले 30 सालों से आंदोलन चल रहा है। मेवाड़ के नेता जब सत्ता में होते हैं तो आंदोलन को लेकर उनका रूख नरम हो जाता है, जबकि विपक्ष में होते हैं, तो मेवाड़ की आदिवासी जनता और वकीलों का समर्थन पाने के लिए आंदोलन के साथ हो जाते हैं। ऐसे नेताओं में जहां कांग्रेस में डॉ. गिरिजा व्यास और डॉ. सीपी जोशी का नाम आता हैं तो भाजपा में गुलाबचंद कटारिया, कैलाश मेघवाल और शांतिलाल चपलोत का नाम लिया जाता है। इन नेताओं ने सत्ता में रहते हुए कभी भी आंदोलन को समर्थन नहीं दिया जबकि विपक्ष में होने पर तुरंत समर्थन के लिए आगे आते हैं। अगर ये प्रबल इच्छा शक्ति के साथ सरकार के सामने मेवाड़ की इस मांग को पुरजोर तरीके से रखते तो शायद मांग कब की पूरी हो चुकी होती। ऐसा मेवाड़ की आदिवासी जनता और वकीलों का मानना है।