पुलिस की भूमिका निर्णायक, अन्य विभागों को भी आगे आना होगा
उदयपुर। देशभर में तंबाकू व धूम्रपान की प्रभावी रोकथाम के लिए मीडिया ही नहीं हर व्यक्ति को व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्थल पर आकर पहल करने की महती आवश्यकता है। यह निष्कर्ष गुरुवार को होटल विष्णुप्रिया में तंबाकू नियंत्रण एवं मीडिया की भूमिका पर राजस्थान वोलंटरी हैल्थ एसोसिएशन की ओर से आयेाजित संभाग स्तरीय कार्यशाला में निकलकर आया।
तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों की प्रभावी रोकथाम के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने मुख्यमंत्रियेां को पत्र लिखा है। जनजागरण के लिए अभियान सुनीता को भी लांच किया है।
अध्यक्षता करते हुए सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर के आंख, नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन सिंघल ने कहा कि तंबाकू व धूम्रपान की प्रभावी रोकथाम के लिए मीडिया के साथ आमजन को भी इस प्रकार के गंभीर मुददों पर काम करने की आवश्यकता है, ताकि सभी के सकारात्मक प्रयास से इन पर रोक संभव है। खासतौर पर युवावर्ग को इससे बचाने की जरूरत है। घरों में बढ़ती उम्र के युवाओं पर नजर रखी जाए ताकि वे ऐसे नशों से दूर रहें।
उन्होंने कहा कि कोटपा एक्ट की पालना प्रशासन के साथ साथ आमजन को भी करनी होगी, तभी तंबाकू पर रोक संभव है। उदयपुर संभाग में रियासतकाल के दौरान भी तंबाकू निषेध था। जिसकी सख्ताई से पालना भी हुई। वर्तमान में सख्त कानून के बावजूद तंबाकू पर रोक को लेकर बने कानून की पालना नही हो पा रही है।यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है।
डा. सिंघल ने कहा कि गुटखा व अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से राज्यभर में लगं कैंसर तथा 80 प्रतिशत मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू को ही माना गया है। शुगर, हार्ट अटेक, रक्तचाप, मुंह, गला व फेफड़े का कैंसर, आंखों की रोशनी चले जाना,हाथ पैरों में विकृति, नपुसंकता सहित अनेक प्रकार की बीमारियेां का जन्मदाता है। उन्होने बताया कि तंबाकू का सेवन किसी भी रुप में लोगों के लिये हानिकारक है, सरकारी विभागों एवं आमजन को इस पर रोकथाम के लिये आगे आना चाहिये। इसके लिये कोटपा कानून की कडाई से पालना होनी चाहिए।
पुलिस कार्यवाही की स्थिति
राजस्थान वोलंटरी हैल्थ एशेासियेशन के परियोजना निदेशक विक्रम राघव ने कहा कि कोटपा कानून 2003 में बनाया गया था,लेकिन इसके बावजूद भी राज्य के पुलिस व जिला प्रशासन की शिथिलता के कारण इस कानून के तहत पिछले एक साल में अभी तक भी निर्धारित संख्या में चालान नही काटे गये है।जबकि पुलिस मुख्यालय से सभी पुलिस थानों केा कम से कम प्रतिमाह 20 चालान करने के निर्देश है। लेकिन यंहा पर स्थिति विपरीत है।उदयपुर जिले में पिछले एक साल(अगस्त 2013 से 31 जुलाई 2014) तक 8880 चालान प्रति पुलिसथाना के हिसाब से कटने चाहिए थे लेकिन मात्र 24 चालान ही काटे गये। इसी प्रकार से बांसवाड़ा जिले में 3600 चालान कटने थे यंहा 990,डूंगरपुर में 2400 के स्थान पर 56,राजसमंद में 3600 में से 41,प्रतापगढ़ में 3360 में से 149 व चितौड़गढ़ में 5520 की जगह पर मात्र 341 चालान काटे गये हैं।