बारिश : खुशी या गम
दबे दुपहिया वाहन, निगम लापरवाह
उदयपुर। निरंतर अच्छी बारिश के कारण कल देर रात और आज सुबह पुराने शहर के अंदरुनी इलाकों में दो खंडहर मकान गिर पड़े। हालांकि जन हानि नहीं हुई लेकिन पड़ोसियों के दुपहिया वाहन उसमें दब गए।
एक ओर जहां मानसून सक्रिय होने से झीलें लबालब हो चुकी हैं। शहरवासियों के चेहरों की रौनक लौट आई है। पर्यटन नगरी होने के कारण व्यवसायियों को अपना व्यवसाय अगले वर्ष अच्छा होने की उम्मीदें जाग गई है वहीं पुराने शहर के लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वे खुशी जताएं या शोक। उनके आसपास के मकानों की स्थिति बदतर है वहीं नगर निगम मानसून पूर्व सिर्फ फौरी तौर पर एक विज्ञप्ति जारी कर देता है लेकिन कार्रवाई को अमली जामा पहनाने में सबकी नाडिय़ां टूटती हैं।
जानकारी के अनुसार कल रात 11.30 बजे कोलपोल स्थित खंडहर हो चुके श्रीनाथ मंदिर मंडल का आधे से ज्यादा भवन भरभरा कर गिर पड़ा। पड़ोस में रहने वाले चन्द्र प्रकाश परमार की स्कूटी और मोटरसाइकिल मलबे में दब गई। गनीमत रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई। भवन नाथद्वारा टेम्पल बोर्ड के अधीन है, जो कई समय से खाली पड़ा था और खंडहर हो चुका था।
इसी प्रकार घंटाघर स्थित दशोरा की गली में मोहनलाल का पुराना तीन मंजिला मकान भी जर्जर अवस्था के कारण खाली पड़ा था जो आज सुबह चार बजे गिर गया। पड़ोस में रहने वाले धनपत लाल के तीन दुपहिया वाहन, पल्सर मोटर साइकिल, एक्टिवा और स्कूटर इसमें अब भी दबे हैं। धनपतलाल के घर में जाने का रास्ता भी मलबा गिरने की वजह से बंद हो गया है। दोनों मकान के गिरने की सूचना पुलिस और नगर निगम में दे दी गई थी लेकिन दोपहर 12 बजे तक मलबा नहीं उठाया गया था।
पूर्व में आदेशों के बावजूद अनदेखी : बारिश पूर्व राज्य सरकार ने पुराने जर्जर मकानों को गिराने के निकायों को आदेश दिए थे। जो मकान खस्ताहाल हैं और गिरने की स्थिति में हैं, उन्हें मकान मालिक से संपर्क कर नियमों के अंतर्गत गिरा दिया जाए ताकि बारिश के दिनों में जान-माल का नुकसान न हो लेकिन नगर निगम ने बारिश के पहले न तो ऐसे जर्जर मकानों की सूची तैयार की, न ही इनको गिराने की कार्रवाई की। अभी शहर में पुराने मोहल्लों में कई ऐसी पुरानी इमारतें हैं जो कभी भी गिर सकती हैं।