निकली भव्य शोभा यात्रा में उमड़े श्रद्धालु
उदयपुर। मीठे प्रवचनकार आचार्य शांतिसागर के सानिध्य में सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में नगर निगम के टाउन हॉल प्रांगण में बने विशाल पाण्डाल में 12 दिवसीय धार्मिक विश्वशांति णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान प्रारम्भ हुआ।
पहले ही दिन जाप्यार्थियों की जबर्दस्त उपस्थिति और अपार उत्साह ने इस महान अनुष्ठान को ऐतिहासिक बना दिया। गुरूभक्त प्रकाश सिंघवी ने बताया कि णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान में 751 जोड़ों ने जबकि विधान में 251 इन्द्र- इन्द्राणियों ने भाग लिया। यह सभी आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज के निर्देशानुसार इस महान धार्मिक अनुष्ठान को सम्पादित कर रहे थे।
सच्चे दिल से आराधना: शान्तिसागर
जाप्यानुष्ठान प्रारम्भ करने से पूर्व आचार्य शान्तिसागर ने कहा कि अगर सच्चे दिल से परमात्मा की आराधना की जाए तो परमात्मा भी साधकों का अवश्य ही साथ देता है। आचार्य ने चुटकी ली कि कहते हैं कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है, लेकिन अकेला चना भड़भूजे की आंख तो फोड़ ही सकता है। कहने का तात्पर्य है कि किसी भी कार्य को व्यक्ति सिर्फ इसलिए छोड़ देता है कि मैं अकेला हूं, क्या कर पाऊंगा। आचार्यश्री ने कहा कि कभी- कभी एक अकेला भी वो काम कर देता है जो हजारों मिल कर भी नहीं कर पाते हैं।
शोभायात्रा में इतना लम्बा चलना और थकान होने के बारे में आचार्यश्री ने कहा कि जब मनुष्य कमाने के लिए पैसों के लिए सैंकड़ों मिलों तक भाग- दौड़ कर सकता है तो धर्म आराधना और प्रभु भक्ति के लिए साधक कुछ किलोमीटर क्यों नहीं चल सकता है। इस दौरान गुरूदेव के जयकारों और तालियों की गडग़ड़ाहट से समूचा पाण्डाल गूंज उठा।
दीप प्रज्वलन, ध्वजारोहण से आगाज : जाप्यानुष्ठान का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन और ध्वजारोहण के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन गजेन्द्र आंचलिया ने किया।
णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान से पूर्व आचार्य शान्तिसागर के सानिध्य में श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभा यात्रा में श्रद्धालुओं का जैसे सैलाब ही आ गया। शोभा यात्रा जिधर से भी गुजरी देखने के लिए आम जन के कदम थम गये।
जगह-जगह पुष्प वर्षा : शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालु लगातार गुरूदेव के जयकारे और धार्मिक भजन गाते और बैण्डबाजों पर बज रही उनकी धुनों पर भक्ति नृत्य करते चल रहे थे। शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए जल-पान और आईसक्रीम तक की व्यवस्था कर रखी थी। जगह जगह पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर इसका जोरदार स्वागत किया। शोभा यात्रा के पूरे मार्ग में जगह- जगह स्वागत द्वार भी लगाये गये थे।
75 से ज्यादा बघ्घियां और 9 बैण्ड: शोभा यात्रा कितनी भव्य और विशाल थी। इसका अन्दाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इसमें 75 से ज्यादा बग्घियां और 9 बैण्ड शामिल थे। बग्घियों की जगह कई ट्रैक्टरों को सजा-धजा कर बघ्घ्यिों का रूप देकर शोभा यात्रा में शामिल किया गया। श्रीजी को बिराजित किया गया था, जिनको बघ्घियों में सवार इन्द्र- इन्द्राणी लगातार पंखा कर रहे थे।
शोभा यात्रा का यह था मार्ग: जाप्यानुष्ठान से पूर्व निकली शोभा यात्रा प्रात: 9 बजे कृषि मण्डी से प्रारम्भ हुई जो पारस चौराहा, पटेल सर्किल, उदियापोल, सूरजपोल, मुखर्जी चौक, तीज का चौक, देहलीगेट होते हुए नगर निगम में बने डोम पाण्डाल में पहुंची। बघ्घियों की संख्या ज्यादा होने से एक-एक बघ्घी प्रांगण में पहुंचती गई और उसमें से उतर कर इन्द्र-इन्द्राणियों ने श्रीजी को शिरोधार्य कर एक-एक करके मंच पर बिराजमान करवाया।