कला प्रशिक्षण का आगाज
उदयपुर। जनजाति युवाओं के कौशल विकास हेतु मृणकला/टेराकोटा के प्रशिक्षण का आगाज सम्भागीय आयुक्त वैभव गालरिया के मुख्य आथित्य में टीआरआई सभागार में हुआ। गालरिया ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि मोलेला ग्राम की मृणशिल्प एवं टेराकोटा आर्ट एक विश्व प्रसिद्ध कला है एवं रोजगार के क्षेत्र में प्रचुर संभावनाएं है।
प्रशिक्षण प्राप्त कर छोटे स्तर पर कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है। जिससे अपने क्षेत्र में रहते हुए ही आय अर्जित कर सकते हैं। गालरिया ने टीआरआई निदेशक को निर्देश दिए कि प्रशिक्षण में तैयार सामग्री की प्रदर्शनी का आयोजन कराया जावे एवं संस्थान संग्रहालय में भी रखे एवं प्रशिक्षण समाप्ति तक प्रशिक्षण एवं मोलेला की मृण शिल्प एवं टेराकोटा कला का डॉक्युमेन्टेशन भी कराएं। आरम्भ में संस्थान निदेशक बीएल कटारा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रशिक्षण की महत्ताश पर प्रकाश डाला
क्राफ्टमेन अम्बालाल ने बताया कि मोलेला राजसमन्द जिले का एक गांव है जो मृणशिल्प एवं टेराकोटा कला के लिये विश्व प्रसिद्ध है। इस कला के कलाकार सांचे का उपयोग नहीं करते एवं प्लेट विधि एवं चाक पर विभिन्न कलाकृतियों का निर्माण करते है जो काफी सराही जाती है एवं बाजार में मांग बनी रहती है। पूर्व में इस कला से धार्मिक देवी-देवताओं की मृण मूर्तियां यथा कल्लाजी, गौराजी, भेरूजी, धर्मराज जी की मूर्तियां बनायी जाती थी। संचालन संस्थान की उप निदेशक ज्योति मेहता ने किया।