प्रबल दावेदारों को ठिकाने लगाने में लगे विश्वस्त
उदयपुर। जैसे जैसे नगर निकाय चुनाव समीप आ रहे हैं। उदयपुर के राजनीतिक हलकों में निरंतर बदलाव दिखाई दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव में मेवाड़ में अपनी मर्जी के विधायकों को टिकट दिलवाकर जीतने के बाद मेवाड़ में जहां विधायक एवं ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज सेवक गुलाबचंद कटारिया का कद बढ़ा तो कटारिया ने अपना कदम राष्ट्री य स्त र पर बढ़ाया और पीछे निकाय चुनाव के लिए उदयपुर शहर की कमान अपने विश्वरस्तट प्रमोद सामर के हाथों में सौंप दी।
सामर के खिलाफ शहर जिला भाजपा लामबंद हो गई है। महापौर पद के प्रबल दावेदार कुंतीलाल जैन और चन्द्र सिंह कोठारी को आमने-सामने करवाकर सामर खुद महापौर के सपने संजोये सामर ग्रामीण विधानसभा के किसी वार्ड से लड़ने का न सिर्फ मानस बना चुके हैं बल्कि अंदर ही अंदर कैम्पेनिंग तक शुरू हो गई है।
विधानसभा चुनाव के दौरान तो कटारिया के धुर विरोधी ताराचंद गुट का नाम यदा-कदा शहर जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी के प्रेस नोट्स में आता रहा लेकिन चुनाव के बाद बिल्कुल बंद हो गया। इसी प्रकार मंडल अध्यक्ष नानालाल वया के माध्य म से उन्हीं के वार्ड में शामिल मांगीलाल जोशी को दरकिनार कर दिया गया है। मंडल की बैठकों तक में वरिष्ठमता के नाते भी जोशी को बुलाया तक नहीं जाता। गत दिनों निकाय चुनाव को लेकर हुई बैठक में भी जोशी नदारद थे। धर्मनारायण जोशी तो खुलकर सामने आ गए, इसलिए वे अपने चार-पांच साथियों के साथ ही अपने काम में लगे रहते हैं। उन्हें शहर जिला भाजपा से कोई मतलब ही नहीं रहा।
इसी तरह एक और प्रबल दावेदार स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष के विरोध के लिए महापौर और उपमहापौर दोनों एक हो गए हैं। साढ़े चार साल तक बोर्ड बैठकों में महापौर की तरफ मुंह तक नहीं करने वाले उपमहापौर गत दिनों हुई बोर्ड बैठक में बार-बार बतियाते रहे और बैठक में उठने वाले मुद्दों पर महापौर का बचाव करते रहे। कटारिया का अपने दामाद अतुल चण्डालिया को मंडल की राजनीति में उतारना भी सामर को मजबूती देने की दिशा में एक कदम माना जा सकता है।