आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी के चौथे और अंतिम चरण के तहत सप्ताह का आगाज
कन्या संस्कार शिविर में भी दिया संबोधन
उदयपुर। एक मिनट में जिंदगी नहीं बदल सकती लेकिन एक मिनट में सोच समझकर किया गया निर्णय जिंदगी को बदल सकता है। आज के इस युग में बच्चों में संस्कार डालना जरूरी है लेकिन संस्कारों का उपयोग विवेक के साथ करना भी सिखाना चाहिए। औरों के लिए जीना सीखें। बच्चों को यही संस्कार दें। गलती निकालने के लिए भेजा चाहिए लेकिन गलती कबूल करने के लिए कलेजा चाहिए।
ये विचार मुंबई के सुप्रसिद्ध कवि युगराज जैन ने व्यक्त किए। वे तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह के चौथे चरण के आगाज पर रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में सभा को संबोधित कर रहे थे। आज का युग फास्ट फूड का है लेकिन माता-पिता को इस फास्ट लाइफ में अपने बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए। बच्चों की मनोवृत्ति को समझें। वक्त का सम्मान करना सीखें क्योंकि वक्त से बड़ा कोई नहीं। 21 वीं सदी के पहले अभावों में भी खुशियां थी लेकिन इसका इतना असर अब आ गया कि खुशियों में भी अभाव झलकता है। हर व्यक्ति तनाव में है। सभी चाहते हैं कि भगवान महावीर एक बार फिर धरती पर आएं लेकिन मेरा मानना है कि वे नहीं आएं। जिन्हें उनसे मिलना है, तपस्या कर उनके पास जाए। उन्हें तो जो रास्ता दिखाना था, वे दिखाकर चले गए। अभिभावकों से उन्होंने कहा कि प्रतिदिन का नियम है। दुकानदार सुबह दुकान खोलता है, सामान जमाता है उसी प्रकार शाम को वापस तिजोरी में रखकर आता है। इसी प्रकार बच्चों को मोबाइल दें लेकिन शाम को 8 बजे बाद वापस अभिभावकों के पास जमा करवा दें। दूसरी बात कि प्रीपेड के बजाय पोस्टपेड कनेक्शन उन्हें उपलब्ध करवाएं ताकि बिल आने पर आप उस पर निगरानी रख सकेंगे।
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि आचार्य तुलसी के अवदान जन-जन के मस्तिष्क पर अमिट हैं जो कभी मिट नहीं सकते। संस्कार क्या हैं, कहां से आएंगे इन पर विचार करने की आज जरूरत है। माता पिता बच्चों को कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि वे बच्चों को समय तक नहीं दे पाते। फिर हमारे पास आते हैं कि आप बच्चों को समझाएं?
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आचार्य तुलसी का भावी पीढ़ी को सुदृढ़ करने का सपना आज साकार हो रहा है। वे अपने ज्ञानशाला, अणुव्रत, किशोर-कन्या, युवक परिषद-महिला मंडल जैसे कई अवदान दे गए जिससे आज समाज फल-फूल रहा है। 26 अक्टूबर को भजन संध्या होगी। शाम को भुवाणा स्थित महाप्रज्ञ विहार में भक्ति संध्या होगी जिसमें बैंगलोर के संदीप वर्डिया अपने भजनों से श्रोताओं को सराबोर करेंगे। इससे पूर्व शताब्दी गीत शशि चह्वाण ने प्रस्तुत किया। मंगलाचरण साध्वीवृंदों ने किया। साध्वीवृंदों ने आचार्य तुलसी पर आधारित गीतिका भी प्रस्तुत की।
काल्पनिक दुनिया से बाहर निकले बहिनें
अखिल भारतवर्षीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेस महिला शाखा की ओरसे पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि के सानिध्य में आयोजित बालिका संस्कार शिविर में मुख्य वक्ता के रूप में जैन ने कहा कि बहिनों अपनी आँखों में वे अंगारे रखो कि तुम्हारी चारित्रिक शक्ति के सामने वासना लेकर घूमने वाले भेडिय़े भी घबराकर भाग उठे, इतनी हिम्मत अपने आप में रखना, कभी स्वयं को कमजोर मत समझना।
उन्होंने कहा कि संस्कार उन्हें दिये जाते है जिनमें संस्कार ना हो परन्तु आप सभी संस्कारवान है इसलिए अपने अभिभावक, काँफ्रेस के आमंत्रण एवं स्वेच्छा से इस आयोजन में आये है। उन्होंने सभागार में युवतियों से राखी बंधवाकर उन्हें यह वचन दिया कि जीवन मे किसी भी मोड़ पर तुम्हें अपने भाई युगराज की जरूरत हो तो मै सदेव तुम्हारे साथ खड़ा हूँ।
युगराज जैन ने कहा कि नई पीढ़ी को जरूरत है काल्पनिक दुनिया के छलावे से बाहर आकर यथार्थ के धरातल पर अपने संस्कारों के प्रति जागरूक रह कर जीवन जीने की। उन्होंने बालिकाओं से आहवान किया कि प्रेम प्रसंग में फंसी किसी अपनी बहिन, सहेली या किसी भी युवती को बचाने का कार्य आज से ही शुरू करें, अपने प्रयासो से अगर किसी बहिन को घर से भागने से बचा लिया तो मंदिर या स्थानक का निर्माण करने से कहीं ज्यादा पुण्य प्राप्त होगा। आज की बालिकाओं को चाहिये की अपने माता-पिता , अध्यापक व समाज से संस्कारों की विधि का ज्ञान लें व किसी भी युवक द्वारा झूठी प्रशंसा, भेट एवं किसी भी प्रकार के काल्परनि लालच से दूर रह कर ऐसे समाज कंटकों का मुंहतोड़ जवाब दें।
सौभाग्य मुनि ने कहा कि कन्याएं एक घर नहीं वरन् दो घर की लाज होती है। उनका ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है। शिविर में महिला काँफ्रेस की संभागीय अध्यक्ष ममता रांका ने बताया कि आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में माता-पिता अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों, व्यवसाय आदि की व्यस्तता के कारण बच्चों की अभिरूचि उनकी संस्कृति पर विशेष ध्यान नही दे पाते जिस कारण बच्चे जैनत्व का महत्व नही समझ पाते और जब वह गलत राह पर चल पड़ते हैं, तब तक काफी देर हो जाती है। संभागीय महामंत्री पिंकी माण्डावत ने भी संबोधित किया। संचालन रंजना मेहता ने किया।