उदयपुर। उदयपुर की नाट्य संस्था नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स के कलाकारों द्वारा आज अलसुबह गोवर्धन सागर पाल पर नुक्कड़ नाटक “पड़ाव” का सफल मंचन किया गया।
नाट्यांश सोसाइटी के सचिव अमित श्रीमाली ने बताया की नाट्यांश के कलाकारों द्वारा पिछले तिन दिनों में इस नाटक के लगातार 10 मंचन विविध स्थानों पर किये गए | श्रीमाली ने बताया की सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य न केवल मनोरंजन बल्कि इस तरह के मुद्दे को आम जनता तक भलीभांति पहुँचाना था, श्रीमाली ने बताया की पिछले तीन दिनों में विविध स्थानों पर मंचन के बाद अलग अलग संख्याओ में लोग मिले परन्तु सभी जगह की जनता ने कलाकारों के अभिनय और नाटक के केंद्रीय मुद्दे की काफी प्रशंसा की | चूँकि केंद्र वृद्ध माता पिता का था तो कितने ही स्थानों पर उपस्थित वृद्धजन भावुक हो उठे और कलाकारों की प्रशंसा करके उन्हें आशीर्वाद भी दिया। नाटक में जिस तरह आजकल के परिवारों में अपने घर के बड़े बुजुर्गो की किसी नाकारा पड़े सामान की तरह देखा जाता है उसी मुद्दे को केंद्र में रखकर नाटक का लेखन किया गया।
यह नाटक हमारे देश में बुजुर्गों के साथ हो रहे अनुचित व्यवहार और उनके अकेलेपन पर आधारित है। साथ ही इस नाटक में बुजुर्गों को उनके बच्चों द्वारा वृद्धाश्रम भेजने के मुद्धे पर भी प्रकाश डाला है। बुजुर्ग हमारी समस्या नहीं होते बल्की कई समस्याओं का समाधान होते हैं। हमें उनसे सिर्फ बात ही तो करनी होती है। उनका ध्यान रखना होता है | बुजुर्ग हम पर बोझ नहीं होते बल्कि वो हमारे साथ रहकर कई बोझ हल्के कर देते है।
नाट्यांश के इस नाटक में अश्फाक नूर खान, अमित नागर, अमित श्रीमाली, रेखा सिसोदिया, तरूण जोशी, आयुष माहेश्वरी, चेतन मेनारिया, अब्दुल मुबीन खान पठान, श्लोक पिम्पलकर और यथार्थ गोस्वामी ने अभिनय किया। नाटक का लेखन एवं निर्देशन मोहम्मद रिज़वान मन्सुरी ने किया।
नाटक का सारांश – यह नाटक एक मध्यम वर्गिय परिवार के इर्द-गिर्द घुमता है। एक बुजुर्ग जोड़ा अपने बच्चे के लिए हमेशा चिन्तित रहता है और लड़का उनके इस प्यार और देखभाल को बन्दीश समझता है और इसी के चलते वो अपने बुजुर्गों को घर से निकाल देता है। बाद में उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वो बुजुर्ग को ढुढ़ने जाता है और उनसे माफी मांग कर घर चलने का आग्रह करता है। स्वाभीमानी माता-पिता उसके साथ वापस घर जाने से मना कर देते है।