आयुर्वेद को पुनर्स्थावपित करने औषध व सेवाओं को श्रेष्ठ बनाने की जरूरत : कटारिया
विद्यापीठ में भगवान धन्वन्तरि की जयंती मनाई
उदयपुर। आरोग्य प्रदाता भगवान धन्वन्तरि की जयंती पर मंगलवार को विविध आयोजन हुए। आयुर्वेद औषधालय में हुए समारोह मेंग्रामीण विकास व पंचायतीराज मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने ‘आयुर्वेद‘ को पुनर्स्थावपित करने के लिए औषधीय गुणवत्ता एवं चिकित्सकीय सेवाओं को श्रेष्ठता प्रदान करने की जरूरत बताई तो वहीं राजस्थान विद्यापीठ में धन्वन्तरि व लक्ष्मीजी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की गई।
विद्यापीठ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल एवं वरिष्ठ लेखाधिकारी डॉ. हरीश शर्मा ने की। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि धन्वन्तरि की पूजा एवं उनका स्मरण मात्र से ही समस्त रोगों का नाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत ग्रंथों के सम्पादन का कार्य तेजी से होना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. हेमशंकर दाधीच, भगवती लाल सोनी, राजेन्द्र वर्मा, कृष्णकांत नाहर, घनश्याम सिंह भीण्डर, जितेन्द्र सिंह चौहान, ओम पारीख, उमराव सिंह चौहान, चन्द्रेश छतलानी, महेन्द्र मेघवाल, गणपत पालीवाल सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
फूटा दरवाजा आयुर्वेद औषधालय परिसर में कटारिया ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि चिकित्सक समुदाय की समाज के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिये। चिकित्सक को सेवा दायित्व के लिए समाज के बीच भेजा जाता है लेकिन वे कितना खरा उतर रहे हैं। इस पर उन्हें चिंतन करने की जरूरत है। महंत सुरेशगिरि ने कहा कि भौतिकवाद की दौड़ में हम बहुमूल्य औषधीय वनस्पति को नष्ट कर रहे हैं। आज के दौर में पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान से चिकित्सकीय सेवाओं को सुदृढ़ करने की जरूरत है। आयुर्विद डॉ. नरहरि पंड्या ने विद्वान ‘लार्ड लिस्टर‘ के संदेश को आधार बताते हुए कहा कि चिकित्सक को सिर्फ और सिर्फ अपने दायित्व एवं कर्म के प्रति समर्पित रहने की जरूरत है। कटारिया ने समाजसेवी हेमन्त लोढा़ का शॉल एवं पगडी़ से अभिनंदन किया। औषधालय प्रभारी डॉ. शोभालाल औदिच्य ने आयुर्वेद सेवाओं की श्रेष्ठता का संकल्प दोहराया।